प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत बनाने के लिए तथा माँ पृथ्वी से बचाने के लिए तथा महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयए उदयपुर द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री विनोद शुक्ला राष्ट्रीय अध्यक्ष प. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच नई दिल्ली ने बताया कि भारत में प्लास्टिक एवं पॉलीथीन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। प्लास्टिक हमारे पर्यावरण एवं पृथ्वी के लिए खतरा है। प्लास्टिक का सम्पूर्ण निषेध संभव नहीं है लेकिन इसकी उपयोग का कम करना, रिसाइकिल करना, पुनः उपयोग करना तथा रिफ्यूज करने के लिए समाज में व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है। देश में 2017 से सिंगल यूज प्लास्टिक को बेन किया गया है। जनमानस में इसके प्रति चेतना से ही प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत बनाया जा सकता है।
डॉ. शांति कुमार शर्मा, अनुसंधान निदेशक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयए उदयपुर ने कहा कि प्लास्टिक प्रकृति में 100 साल तक अपघटित नहीं होता है। एक किलो प्लास्टिक के जलाने से 6 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा जलवायु परिवर्तन से मानव जीवन प्रभावित होता है। हमें विद्यार्थियों तथा अभिभावकों में थर्मो फिलिक तथा थर्मोस्टेट प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। डॉ. शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा सोलर टनल ड्रायर, बायोगैस, बायोडिकम्पोजर, जल संरक्षण तथा जैविक खेती के क्षेत्र में पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कई परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।
श्री प्रदीप कुमावत, स्वतंत्र निदेशक, रेल्वे एनर्जी, भारत सरकार सम्प्रति पर्यावरण विद् ने पर्यावरण जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक, जूट बेग, फीचर फिल्म, विद्यार्थी मानव श्रृंखला आदि उपायों से प्लास्टिक के उपयोग को कम करने तथा समाज में व्यापक जागरूकता बढ़ाने के बारे में बताया।
श्री दिलीप सिंह राठौड़ ने बताया कि प्लास्टिक कम्पनियों द्वारा सी. एस. आर. के तहत विश्वविद्यालयों को पर्यावरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए एक निश्चित बजट का आवंटन करना चाहिए। श्री राठौड़ ने कहा कि उदयपुर वल्र्ड क्लास सिटी है तथा स्मार्ट सिटी के तहत प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए मिशन प्रणाली पर कार्य करना चाहिए।
श्रीमति राजश्री गांधी, डूंगरपुर ने बताया कि पर्यावरण के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। महिलाएँ बच्चों में पर्यावरण के प्रति नैतिक शिक्षा के माध्यम से प्लास्टिक का उपयोग न करने के बारे में प्रेरित कर बड़ा कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि डूंगरपुर जिले का प्लास्टिक रहित सिटी के लिए किये गये कार्य सभी के लिए अनुकरणीय हैं।