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भारतीय मुल्यों का जीवंत दस्तावेज है संविधान - प्रो. सारंगदेवोत

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26 Nov 20
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भारतीय मुल्यों का जीवंत दस्तावेज है संविधान - प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुरजनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डिम्ड टू बी विवि के संघटक विधि महाविद्यालय के प्रशासनिक भवन में गुरूवार को संविधान के 71 वें दिवस पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि देश की एकता व अखण्डता, देशवासियों की गरिमा तथा देश के संस्थानों की अहमियत को अक्षुण्ण बनाये रखने का कार्य संविधान ने किया है देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था, निष्पक्ष व स्वतंत्र न्यायपालिका, जन संवेदनशील व्यवस्थापिका कायम रखने का प्रयास किया गया है। भारतीय संविधान की महत्ता भारतीय ग्रंथ से कम नही है। आधुनिक भारत के नवनिर्माण में अगर सर्वाधिक योगदान किसी एक ग्रंथ का रहा है तो वह भारतीय संविधान है। वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एन. माथुर ने कहा कि आज भी ग्रामीण परिवेश में रह रहे अपने अधिकारों के प्रति सजग नही है और वे निष्पक्ष चुनाव में अपनी भूमिका अदा नही कर सकते है वहा के मुखिया या धन्नासेठ के कहने पर वे अपना वोट करते  है इसलिए आम जन को अपने अधिकारेां के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। संविधान में दी गई न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति से कई बार संविधान की मूल आत्मा भी बची है और लोकतंत्र भी मजबूत हुआ है।


उन्होने कहा कि स्वतंत्रता, न्याय और समता की शुरूआत पहले घर और समाज से होनी चाहिए, मौजूदा दौर में संविधान के मूल चीजों को संजोये रखने की जरूरत है। उन्होने कहा कि एक राष्ट्र की पहचान उसके नैतिक सामाजिक मूल्येां और उसके जनमानस की आकांक्षाओं से होती है, संविधान की इन्ही भावो का वस्तुनिष्ठ करता है क्योकि भारत का संविधान लोकतांत्रिक मूल्यों वाला है। हाईकोर्ट के पूर्व जज आर.सी. झाला ने कहा कि संविधान में भारत के नागरिकों को मौलिक अधिकार दिये गये है , अधिकार आम आदमी की स्वतंत्रता, सम्मान की गारंटी देता है करोडो लोगो की आशाओ को जगाता है, आम आदमी की ताकत है लेकिन संविधान दिवस का पावन दिवस हमें यह भी सिखाता है कि हम अपने अधिकारों की परिधि में रहे , कानून के मापदण्ड स्थापित करे , अधिकार को अलंकार के रूप में सम्मान दे। समारोह में विधि महाविद्यालय द्वारा चलाये गये जागरूता अभियान में  प्रथम, द्वितिय रहे प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डाॅ. कला मुणेत ने कहा कि आज के समय में विधार्थियों में संविधान के प्रति सचेत करना और महत्व का प्रचार प्रसार करना आवश्यक है। संचालन  निरव पाण्डेय धन्यवाद डाॅ. कला मुणेत ने दिया। इस अवसर पर डिप्टी रजिस्ट्रार रियाज ह ुसैन, डाॅ. चन्द्रेश छतलानी, मीता चैधरी, ध्रूवल शाह, निरज पाण्डे, लोकेन्द्र सिंह राठोड, चिराग दवे सहित अकादमिक सदस्य उपस्थित थे।


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