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“महात्मा हंसराज जयन्ती समारोह पर हमारी पांच दिवसीय पुणे यात्रा”

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25 Apr 19
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“महात्मा हंसराज जयन्ती समारोह पर हमारी पांच दिवसीय पुणे यात्रा”

हमने 17 अप्रैल, 2019 से 22 अप्रैल, 2019 तक पुणे की यात्रा की। यात्रा का उद्देश्य पुणे के डी0ए0वी0 पब्लिक स्कूल, औंध में ‘‘महात्मा हंसराज दिवस समर्पण समारोह” में उपस्थित होना था। हमें इस समारोह में सम्मानित करने के लिये आमंत्रित किया गया था। डी0ए0वी0 प्रबन्ध समिति की ओर से ही हमसे परामर्श कर हमारे यात्रा टिकट बुक कराये गये थे। स्थानीय डी0ए0वी0 पब्लिक स्कूल के युवा संस्कृत अध्यापक एवं धर्म शिक्षक श्री गिरीश शास्त्री जी हमारे साथ गये व लौटे। उनको हमारे साथ इस लिये भेजा गया था जिससे वह हमारे सुख व सुविधाओं का ध्यान रखें। ऐसा हमने किसी आर्य संस्था में पहली बार देखा है। अन्य 16 सन्यासी व विद्वानों के साथ भी इसी प्रकार से डी0ए0वी0 का एक अध्यापक या प्रिंसीपल साथ आया जिसने अपना कार्य भली भांति सम्पन्न किया। हम देहरादून से रात्रि 17 अप्रैल, 2019 को 11.30 बजे की रेलगाड़ी से चले और अगले दिन प्रातः 5.15 बजे नई दिल्ली स्टेशन पहुंच गये। हमारी पुणे की रेलगाड़ी हजरत निजामुद्दीन रेल स्टेशन से 10.55 बजे जानी थी। अतः हम इस बीच गुरुकुल-गौतमनगर पहुंच गये जहां हम स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी से मिले। स्वामी जी ने हमारा प्रशंसनीय आतिथ्य किया। हमें एक कमरा दिया गया और वहां हम प्रातःकालीन आवश्यक दिनचर्या के कार्यों से निवृत्त हुए। स्वामी जी ने अपने कमरे में बैठाकर हमें दूध व दलिये का नाश्ता कराया और आर्यसमाज संबंधी लम्बी चर्चा की। उन्होंने अपनी कार से हमें हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन भी भिजवाया जिससे न केवल समय की बचत हुई अपितु यह लोकल यात्रा सुविधाजनक भी रही। हम स्वामी जी का हार्दिक धन्यवाद करते हैं।

 

                हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से हम दूरन्तो रेलगाड़ी से पुणे पहुंचे जो 19-4-2019 को निर्धारित समय प्रातः 7.10 बजे पुणे पहुंची। स्टेशन पर डी0ए0वी0 पब्लिक स्कूल के अध्यापकगण हमें लेने के लिये आये थे। हमारे साथ पिथौरागढ़ के स्वामी गुरुकुलानन्द कच्चाहारी जी भी दिल्ली से यात्रा में सम्मिलित हुए। उनके साथ श्री गंगाधर जोशी और डी0ए0वी0 पब्लिक स्कूल, हलद्वानी के प्राचार्य श्री अमित जोशी भी दूरन्तों गाड़ी में हमारे ही कोच में यात्रा कर रहे थे। हम सभी स्कूल द्वारा उपलब्घ कराई गई कारों के द्वारा ’’औंध रिट्रिट होटल” पहुंचे गये। डीएवी स्कूल व होटल रेलवे स्टेशन से लगभग 15 किमी0 दूरी पर था। पूरे होटल को आर्य विद्वानों के लिये आरक्षित किया गया था। होटल व स्कूल के बीच की दूरी 500 मीटर से कुछ कम थी। होटल में हमें एक कमरा दिया गया जिसमें हम दोनों साथी दो दिन सुखपूर्वक रहे। यहां निवास एवं भोजन की अच्छी व्यवस्था की गई। हम प्रथम दिन यहां रहे और एक-एक कर आने वाले विद्वानों से मिलते रहे। बहुत से विद्वानों व संन्यासियों को हम पहले से जानते थे तथा नये विद्वानों से हमने बातचीत करके उनका परिचय प्राप्त किया। दिन में प्रातराश एवं भोजन लिया और रात्रि को भी स्वादिष्ट भोजन सभी विद्वानों व उनके साथ आये डी0ए0वी0 स्कूल के अध्यापकों ने मिलकर किया। इतने विद्वानों की एक स्थान पर उपस्थिति ने एक सुखदायक स्वर्ग के सुख जैसे वातावरण का अनुभव कराया। यहां जो विद्वान आये व रहे उनके नाम इस प्रकार हैंः

 

1-  स्वामी श्रद्धानन्द जी (परली, महाराष्ट्र)

2-  स्वामी आशुतोष परिव्राजक (रोजड, गुजरात)

3-  आचार्य सत्यानन्द वेदवागीश (अजमेर, राजस्थान)

4-  डॉ0 कुंजदेव मनीषी (नैष्ठिक ब्रह्मचारी) (आमसेना, उड़ीसा)

5-  स्वामी गुरुकुलानन्द कच्चाहारी (पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड)

6-  स्वामी शुद्धानन्द सरस्वती (कोलाघाट, पश्चिमी बंगाल)

7-  स्वामी धर्मानन्द सरस्वती (बहरोड़, राजस्थान)

8-  श्रीमती इन्दुमती हरिदास सावंत (लातूर, महाराष्ट्र)

9- आचार्य उदयन मीमांसक (हैदराबाद, तेलगाना)

10- डॉ0 रघुवीर वेदालंकार (दिल्ली)

11- पण्डित योगिराज ‘भारती’ (परली वैद्यनाथ, महाराष्ट्र)

12- श्री योगेन्द्र कुमार उपाध्याय (गुरुकुल आमसेना, उड़ीसा)

13- श्री रामचन्द्र क्रान्तिकारी (सीतामढ़ी, बिहार)

14- डॉ0 ब्रह्मदत्त (कोलाघाट, पश्चिम बंगाल)

15- श्री योगेन्द्र याज्ञिक (होशंगाबाद, मध्यप्रदेश)

16- आचार्य विजयवीर विद्यालंकार (हैदराबाद, तेलंगाना)

 

                दिनांक 20 अप्रैल, 2019 को महात्मा हंसराज जयन्ती समर्पण समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का समय अपरान्ह 4.00 बजे से था। इस दिन भी प्रातः जागरण से अपरान्ह 4.00 बजे तक सभी विद्वान अपने कमरों में रहे या होटल के स्वागत-कक्ष में बैठकर परस्पर चर्चायें करते रहे। हमने भी अपना अधिकांश समय विद्वानों की चर्चाओं को सुनने व उनके दर्शन करने में व्यतीत किया। सायं चार बजे सभी विद्वानों को डी0ए0वी0 पब्लिक स्कूल ले जाया गया। वहां वहां तिलक व माल्यार्पण से सबका स्वागत किया गया। सबको एक कमरे में बैठाया गया। यज्ञ आरम्भ से पूर्व सभी विद्वानों को यज्ञ मण्डप में ले जाकर उनके निर्धारित स्थानों पर बैठाया गया जो यज्ञ करा रहे पुरोहित जी के पीछे सीढ़ीनुमा पादानों पर कुछ ऊंचा था। यहां दो पादानों पर संन्यासी व विद्वान बैठाये गये। यज्ञ से पूर्व मुख्य यजमान डॉ0 पूनम सूरी जी सपत्नीक स्वामी श्रद्धानन्द जी, परली के पास गये और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। यज्ञ आरम्भ हुआ और यज्ञ के बाद यज्ञ-प्रार्थना व सुखी बसे संसार सब आदि प्रार्थनायें की गईं। यज्ञ का दृश्य अत्यन्त मनोरम एवं भक्तिरस से पूर्ण था। स्कूल की प्रायः सभी अध्यापिकायें भी यज्ञ में अपने अपने स्थानों पर भूमि पर बैठी। यज्ञमण्डप में कुछ लोगों के बैठने के लिये कुर्सियां भी लगी थी जिनएक सौ से अधिक बन्धु विराजमान थे। यज्ञ मण्डप को भी भव्य रूप में सजाया गया था जिससे वहां का वातावरण अत्यन्त सुखद था। यज्ञ के ब्रह्मा जी ने सामूहिक प्रार्थना कराई जिसमें उन्होंने ईश्वर से कहा कि हम असत्य का त्याग करें और सत्य मार्ग का अवलम्बन लें। ईश्वर हम सब का बेड़ा पार करे। यज्ञ की समाप्ती पर सभी सन्यासी एवं विद्वानों ने यजमानों को पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद दिया। इसके कुछ बाद डॉ0 पूनम सूरी जी ने भी गुलाब के लाल पुष्प की पंखुड़ियों की मण्डप में उपस्थित सभी नर नारियों पर पुष्प वर्षा की। इस बीच मधुर ध्वनि से वेद मन्त्रों का पाठ भी होता रहा। यज्ञ की समाप्ति पर मुख्य कार्यक्रम स्कूल के विशाल प्रांगण में हुआ जिसे भव्य रूप से सजाया गया था।

 

                मुख्य कार्यक्रम में आमंत्रित व सम्मानित विद्वानों को भव्य एवं विशाल मंच की दायीं ओर दो पंक्तियों में बैठाया गया। मुख्य मंच बीच में था जहां स्वामी श्रद्धानन्द जी, कालेज कमेटी के प्रधान डॉ0 पूनम सूरी जी एवं विशिष्ट अतिथियों ने स्थान ग्रहण किया। हिमाचल प्रदेश से आयीं विधि विशेषज्ञ डॉ0 श्रीमती निशा जायसवाल जी मुख्य अतिथि थीं। मंच पर श्री आर0एस0 शर्मा जी तथा महेश चोपड़ा जी भी विद्यमान थे। कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्जवलन से हुआ। प्रधान जी एवं मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन किया। इसके बाद डी0ए0वी0 गान को मधुर ध्वनि में प्रस्तुत किया गया। मंच पर उपस्थित प्रायः सभी अतिथियों का परिचय दिया गया और उनका सम्मान भी किया गया। महात्मा हंसराज जी पर एक भावगीत लगभग 15 स्कूल के अध्यापक एवं अध्यापिकाओं ने मिलकर प्रस्तुत किया। इसके बाद डॉ0 पूनम सूरी जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी का शाल ओढ़ाकर तथा सम्मान पत्र भेंट कर सम्मान किया। इसी प्रकार अन्य 16 विद्वानों को भी शाल, प्रशस्ति पत्र, तुलसी के पौधे एवं धनराशि का लिफाफा भेंट कर सम्मानित किया गया।

 

                इस सम्मान के बाद डॉ0 पूनम सूरी जी का महात्मा हंसराज दिवस व उनके जीवन पर एक अत्यन्त प्रभावशाली एवं भावपूर्ण उद्बोधन हुआ। इस उद्बोधन को हम पृथक से प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे। प्रधान जी के सम्बोधन के बाद मुख्य अतिथि डॉ0 निशा जायसवाल जी का भी भावपूर्ण सम्बोधन हुआ। उन्होंने कहा कि मैं एक आर्य परिवार की पुत्री हूं। उन्होने अपना सम्बोधन ‘‘भगिनी व बन्धुओं” शब्द का प्रयोग कर आरम्भ किया जो हमें बहुत सुखद व हर्षप्रद लगा। उन्होंने कहा कि मेरी मासी जी ने सन् 1920 में पर्दे के खिलाफ आवाज उठाई थी। मैं डी0ए0वी0 स्कूल व कालेज का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मुझे इस योग्य बनाया है। हमने डॉ0 निशा जी के सम्बोधन की कुछ बातें नोट की हैं जो हृदय में प्रसन्नता उत्पन्न करती है। इसे हम अलग से प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम में श्री टी0आर0 गुप्ता जी, उपाध्यक्ष, डीएवी प्रबन्ध समिति का सम्मान किया गया। श्री गुप्ता डी0ए0वी0 स्कूलों के लिये नीतियां बनाते हैं। इन्हें लाइफ टाइम अचीवमेन्ट अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में श्री आर0एस0 शर्मा जी का भी परिचय दिया गया। आप सन् 1994 से 1997 तक पंजाब में डी0ए0वी0 स्कूलों के प्रिंसीपल रहे। यह वही दिन थे जब पंजाब आतंकवाद से जूझ रहा था। आपने पश्चिमी बंगाल में भी डी0ए0वी0 स्कूलों की अनेक ईकाईयां स्थापित कीं। आप डीएवी प्रबन्ध समिति के प्रधान व सचिव पदों पर रहे हैं। आपको भी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। डी0ए0वी0 विद्यालयों से जुड़े देश भर के डी0ए0वी0 स्कूलों के अनेक प्रधानाचार्यों एवं विद्यार्थियों को भी उनके उल्लेखनीय कार्यों व योगदान के लिये सम्मानित किया गया। कुछ को गोल्ड मैडल आदि भी दिये गये।

 

                इसके बाद स्कूल के बाल एवं युवा कलाकारों ने अनेक प्रकार की अभिनय विषयक प्रस्तुतियां दी जो दर्शनीय एवं मनोरंजक थी। शब्दों में उनकी महत्ता का उल्लेख शायद नहीं किया जा सकता। इसमें अनेक राज्यों के नृत्यों सहित महात्मा हंसराज जी के पूरे जीवन को भी नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। सभी प्रस्तुतियां अत्यन्त भव्य एवं आकर्षक थी। कार्यक्रम में बताया गया कि इस आयोजन में 800 छात्र व छात्राओं ने रात दिन मेहनत करके इन प्रस्तुतियों को तैयार किया था। स्कूल की प्रधानाचार्या माधवी जी की भी प्रधान जी ने इन कार्यक्रमों को भव्य रूप में आयोजित करने के लिये प्रशंसा की। शान्ति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। समापन के बाद सबने रात्रि भोज किया। इसकी अत्यन्त प्रशंसनीय व्यवस्था की गई थी।

 

                रात्रि भोज के बाद हम श्री गिरीश शास्त्री के साथ होटल लौट आये। रात्रि 1.00 बजे हमारा प्रशस्ति पत्र, तुलसी का पौधा आदि सामग्री हमें उपलब्ध करा दी गई। इसका कारण यह था कि हमें प्रातः 4.00 बजे रेलवे स्टेशन जाना था। प्रातः 3.00 बजे उठकर हम दोनों मित्र तैयार हुए और स्टेशन पहुंचे। दर्शन एक्सप्रेस में एसी-2 कोच में लगभग 26 घंटे की यात्रा कर हम हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पहुंचे। यहां हमारे लिये टैक्सी बुक की गई थी जिससे चलकर हम अपरान्ह 2 व 3 बजे के मध्य अपने निवास पर सकुशल पहुंच गये। आयु बढ़ने के साथ रेल व बस यात्रा में कुछ कठिनाईयां तो होती ही हैं परन्तु कुल मिलाकर हमारी यात्रा अत्यन्त सफल एवं सुखद रही। हम डी0ए0वी0 प्रबन्ध समिति, दिल्ली के ऋणी हैं। इनके प्रति हम अपना आभार एवं कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और डीए0वी0 विद्यालयों की शक्ति व क्षमता में वृद्धि सहित इनकी सफलता व कीर्ति की कामना करते हैं। डी0ए0वी0 विद्यालय समिति के प्रधान डॉ0 पूनम सूरी जी का भी हम हार्दिक धन्यवाद करते है। ओ३म् शम्। 

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


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