भारतीय बांड बाजार में पिछले हफ्ते उतार-चढ़ाव भरा रुख देखा गया। इसकी वजह पहली बार विदेशों में जारी किए जाने वाले विदेशी मुद्रा में अंकित सरकारी बांड जारी करने को लेकर अनिश्चितता छायी रहना है। डीबीएस ग्रुप रिसर्च की रपट के अनुसार इसका असर 10 साल की परिपक्वता वाले सरकारी बांड पर दिखा और पिछले हफ्ते इस पर प्रतिफल 6.40 फीसद पर रहा।रपट के अनुसार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के विदेश में सरकारी बांड जारी करने की योजना पर आगे बढ़ने के बयान के बाद बांड बाजार में यह उतार-चढ़ाव देखा गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की 16 अगस्त को होने वाली बैठक में इस बांड को जारी करने पर विचार-विमर्श किया जाएगा।रपट में कहा गया है कि इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शेयर बाजारों से निकासी कर बांड बाजार में निवेश बढ़ाया है। जनवरी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब एफपीआई ने शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाली की है।बजट में एफपीआई पर कर बढ़ाने, पुनर्खरीद पर शुल्क लगाने जैसी की गई घोषणाओं के चलते शेयर बाजार में निवेश को लेकर धारणा कमजोर हुई है। वहीं निवेशकों का रुख बांड बाजार की ओर हुआ है।