उदयपुर । भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग द्वारा विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में आमन्त्रित वक्ता के रूप में मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता एवं पर्यावरणविद डॉ विनोद अग्रवाल ने कहा कि जल संसाधनो के अतिदोहन एवं आवश्यकता से अधिक उपयोग के चलते आज पूरा विश्व जल संकट की समस्या से ग्रसित है। भारत जैसे अति आबादी वाले देश में इसकी स्थिति और भयावह है। आज हमारे देश के आधे से अधिक राज्य जल संकट की समस्या से गुजर रहे है। जिसमे राजस्थान, गुजरात, देहली, पंजाब, हरियाणा एवं तमिलनाडू में स्थिति अतिविकट है। उन्होने कहा कि कहने को तो हमारी पृथ्वी का 71 प्रतिशत भूभाग जल से घिरा है किन्तु वास्तविकता यह है कि हमारी पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का 97 प्रतिशत पानी खारा है जो उपयोगी नही है। केवल 3 प्रतिशत जल ही मिठा है। इसमें से अधिकांश पानी ग्लेशियर एवं भूजल के रूप मे है। है। केवल 1 प्रतिशत पानी ही उपयोगी है। अतः हमें जल के महत्व को समझना होगा। इसी क्रम में भूविज्ञानी रवि शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जलसंकट की समस्या से उभरने का एकमात्र उपाय यह है कि हम उपलब्ध जलसंसाधनों का उचित प्रबन्धन करें तथा साथ ही वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न तकनिकों को अपनाकर वर्षा जल की व्यर्थ बहने से बचाएं। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों रे बारे में चर्चा की। कार्यक्रम में भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ रेणु राठौड़ सह अधिष्ठाता डॉ ऋतु तोमर एवं भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा० हेमन्त सेन ने किये। इस अवसर पर संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष कर्नल प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत, सचिव डॉ महेंद्र सिंह आगरिया और प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने अपने सन्देश में कहा की इस विश्व जल दिवस पर, आइए हम प्रकृति के साथ शांति और शांति के लिए पानी को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें। यह लोगों के बीच शांति बनाने और ग्रह के साथ शांति बनाने का समय है। छोटे-छोटे उपायों से हमें जल की एक-एक बूंद को सहेजना होगा। ये जानकारी जनसम्पर्क अधिकारी डॉ कमल सिंह राठौड़ ने दी।