GMCH STORIES

पहला सुख निरोगी काया

( Read 15579 Times)

25 Oct 19
Share |
Print This Page
पहला सुख निरोगी काया

भगवान धन्वंतरी के प्रादुर्भाव दिवस पर स्थानीय देशी दवाखाना में आर्य पद्धति एवं वैदिक मंत्रोचार के साथ यज्ञ एवम भगवान  धनवंतरी की पूजा अर्चना कर धनतेरस को हर्षोल्लास के साथ मनाया।

वैद्य जगदीश प्रसाद ने बताया कि देशी दवाखाना के संस्थापक आदरणीय स्वर्गीय वैद्य श्रीवल्लभ शास्त्री ने 65 वर्ष पूर्व आयुर्वेद के माध्यम से सभी को निरोगी बनाने का बीड़ा उठाया था। साथ ही यज्ञ, पूजा एवं आरती के रूप में धन्वंतरी जयंती मनाने की परंपरा प्रारंभ की थी। उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य में एवं मेरा परिवार पूर्ण निष्ठा से कर रहा है।

वैद्य जगदीश प्रसाद ने कहा कि आज के समय में अधिकतर लोग धनतेरस को धन के रूप में ज्यादा महत्व देते हैं ,और सोने-चांदी एवं घरों में नए बर्तन इत्यादि चीजें लाते हैं एवं खरीदते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि पहला सुख निरोगी काया है और असली धन तो स्वस्थ शरीर ही है इसलिए इस दिन को भगवान धनवंतरी की पूजा अर्चना कर मनाना चाहिए। इस प्रकृति में नाना प्रकार के औषधीय एवं सुगंधित वनस्पति है। इसकी पहचान करवाने हेतु हाथ में अमृत का कलश लिए समुंद्र मंथन से भगवान धन्वंतरी का आज के दिन प्रादुर्भाव हुआ था। 

हम सभी मिलकर इस प्रकृति को बचाएं, सजाएं एवं सवारे ना की प्रकृति को नुकसान पहुंचाए और ना ही उसका दोहन करें तभी इस दिन का उद्देश्य एवं सार्थकता सिद्ध होगी।

 साथ ही सबको यह निवेदन किया कि आयुर्वेद एक निर्दोष विधा है। यह अमृतुल्य विधा है। इसे अधिक से अधिक लोगों को अपनाना चाहिए।

यज्ञ वेदी में यज्ञ सभा को संबोधित करते हुए आर्य समाज के सुभाष शर्मा ने कहा कि भगवान धन्वंतरी के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। उनके जीवन के साथ अमृत का कलश जुड़ा हुआ है और यज्ञ भी एक तरह से अमृत ही है। यज्ञ करते हुए गाय का घी तथा विभिन्न औषधीय युक्त हवन सामग्री जब जलाते हैं तो उससे उठने वाला धुआं इस प्रकृति की खुराक बनता है जिससे ना केवल विभिन्न प्रकार की औषधियां एवं सुगंधित वनस्पति पुष्ट होती है। साथ ही साथ मानव जीवन के लिए भी यह हवा के साथ भूलकर अमृत तुल्य बन जाती है। इसलिए हवन या यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कार्य के रूप में बताया गया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वैद्य पंकज विश्नोई ने कहा कि धनवंतरी के संप्रदाय में 100 प्रकार की मृत्यु है उनमें एक ही काल मृत्यु है शेष अकाल मृत्यु रोकने के प्रयास ही निदान और चिकित्सा है ।आयु के संबंध मैं एक-एक माप भगवान धन्वंतरी ने बताया है।

कार्यक्रम में तुलसी एलोवेरा गिलोय आदि औषधीय पौधों की प्रदर्शनी भी लगाई गई और उनके औषधीय गुण वैद्य जगदीश प्रसाद द्वारा बताए गए।

कार्यक्रम का संचालन एवं आभार दिलीप कुमार तिवाड़ी द्वारा किया गया।

 कार्यक्रम के अंत में यज्ञ वेदी के समक्ष सभी ने संकल्प लिया कि हम लोग अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाएंगे।

 कार्यक्रम में शोभा, शकुंतला गौड़, जसवंत गौड, डॉक्टर लक्ष्मीनारायण जोशी ,गोवर्धन प्रजापत, धनराज कंसारा, भावेश ठक्कर ,ललित ठक्कर ,ललित जैन, जयंत तिवाड़ी, गौरव तिवाड़ी, मंजू तिवाडी, दुर्गा तिवाड़ी, पुष्पा मूंदड़ा, प्राची बंसल, टीना मूंदड़ा, दिनेश जी जीनगर, जसराज जीनगर, रमेश जीनगर, दिनेश बंसल आदि उपस्थित हुए।

 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Barmer News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like