बाडमेर। शहर से मात्र २० किमी की दूरी पर स्थित मां नीम्बडी के भव्य मंदिर को नवरात्रि के मौके पर फूल मालाओं से आकर्षक सजावट की है। मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती की मूर्तियों पर आभूषणों व सुंदर वस्त्रों से सजावट की गई है। क्षेत्र के सैकडों श्रद्धालु मंदिर दर्शन कर नवरात्रा में पूजन का लाभ ले रहे है।
श्री नींबडी माता चेरिटेबल के ट्रस्टी ओमप्रकाश मेहता ने बताया कि मानव चेतना के अंदर सतोगुण रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव नवरात्र को मनाने के लिए मंदिर में विभिन्न प्रकार की सजावट की गई है। इन दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते है। दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी में तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना करते है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में मां की आराधना की जाती है। मां सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नहीं है, ऐसा कहा जाता है कि सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही मां देवी तुम स्थित हो। नवरात्रि मां के अलग-अलग रूपों को निहारने और उत्सव मनाने का त्यौहार है। जैसे कोई शिशु अपनी मां के गर्भ में नौ महिने रहता है। वैसे ही हम अपने आप में परा प्रकृति में रहकर ध्यान में मग्न होने का इन नौ दिन का महत्व है। वहां से फिर बाहर निकलते है तो सजनात्मकता का प्रस्सपुरण जीवन में आने लगता है। नवरात्रि का आखिरी दिन विजयोत्सव मनाते है क्योंकि हम तीनों गुणों के परे त्रिगुणातीत अवस्था में आ जाते हैं। काम, क्रोध, मद, लोभ आदि जितने भी राक्षसी प्रवृति है उसका हनन करके विजय का उत्सव मनाते है। रोजमर्रा की जिंदगी में जो मन फंसा रहता है उसमें से मन को हटा करके जीवन के जो उद््देश्य व आदर्श है उसको निखारने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है। हर एक व्यक्ति जीवन भर या साल भर में जो भी काम करते करते थक जाते है तो इससे मुक्त होने के लिए इन ९ दिनों में शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि और बुद्धि में शुद्धि आ जाए, सत्य शुद्धि हो जाए इसके लिए मां दुर्गा, लक्ष्मी व सरस्वती जी का पूजन करते है। उन्होंने बताया कि १८ अक्टूबर को नींबडी धाम में नवरात्रा की पुर्णाहुति क अवसर पर भव्य जागरण का आयोजन किया जाएगा।
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