GMCH STORIES

एमपीयूटीः 21वीं अनुसंधान परिषद की बैठक सम्पन्न

( Read 526 Times)

02 Sep 25
Share |
Print This Page
एमपीयूटीः 21वीं अनुसंधान परिषद की बैठक सम्पन्न

 

उदयपुर, । महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की अनुसंधान परिषद् की 21वीं बैठक सोमवार 01 सितम्बर, 2025 को अनुसंधान निदेशालय में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक की अध्यक्षता में आयोजित की गई।

इस अवसर पर वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय कृषि अनुसंधान में अग्रणी है। हमारे संस्थान ने मक्का, मूंगफली एवं अफीम की उन्नत नई किस्मों का विकास के साथ गुणवत्ता अनुसंधान प्रपत्रों, वैज्ञानिकों ने वर्ष 2023 एवं 2024 में 34 व्यक्तिगत सम्मान एवं 2 परियोजनाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने के साथ एवं विभिन्न संस्थानों से समझौता हस्ताक्षर किये। माननीय कुलपति ने वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान कार्य को समय व हितधारक की आवश्यकतानुसार सृजित करने को कहा जिससे समाज के हर तबके जैसे कि उत्पादक, विपणनकतार्ओं एवं उपभोक्ताओं को हमारे अनुसंधान लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि हमें अनुसंधान परियोजनाओं को विश्वविद्यालय की आय अर्जन की संभावनाओं को लक्ष्य बना कर करनी चाहिए साथ ही विश्वास जताया कि नई तकनीकियों एवं पेटेन्टस् के द्वारा विश्वविद्यालय की आय के साधन बढ़ेगें। डॉ. कर्नाटक ने कहा कि अनुसंधान परियोजनाओं के तकनीकी कार्यक्रम को राष्ट्रीय लक्ष्य को आधार मानते हुए करनी चाहिए एवं हर अनुसंधान का परोक्ष व अपरोक्ष लाभ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचनाओं, मांग आपूर्ति व कृषक जगत को सुदृढ़ करने में होना चाहिए। माननीय कुलपति महोदय ने बैठक विशेष आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ. एस. के. शर्मा, सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन) भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली एवं डॉ. उमा शंकर शर्मा, पूर्व कुलपति, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर का स्वागत किया।

इस अवसर पर डॉ. एस. के. शर्मा, सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन) भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपने अन्तर्गत क्षेत्र के विशिष्ट कृषि उत्पादों के विकास व मूल्य संवर्धन पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है जिससे क्षेत्र, उत्पाद के साथ-साथ विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे विश्व में बढ़ेगी। साथ ही उन्होेंने कहा कि विश्वविद्यालय को अपने अनुसंधान परिणामों को थ्च्व् व अन्य समुहों के माध्यम से प्रसारित करने चाहिए जिससे उन्हें शाश्वत रूप से समाज व कृषकों के मध्य सजीव रख सके। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के हर फार्म पर प्रजनक बीज का ही उत्पादन करना चाहिए जिससे विश्वविद्यालय का राजस्व बढ़ेगा। साथ ही डॉ. शर्मा ने विकसित भारत 2047 को ध्यान में रखते हुए जल उपयोग क्षमता, नवीनीकरणीय ऊर्जा उपयोग क्षमता, मक्का से ईथेनोल बनाने के साथ कम उपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाने पर जोर दिया। डॉ. शर्मा को सभी वैज्ञानिकों का आहवान किया पैटेन्टस का व्यावसायिकरण होना चाहिए जिससे विश्वविद्यालय में आय अर्जित हो सकें साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की उन्नत तकनीकों का विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए ताकि विश्व में सभी इस विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारें में जान सकें।

बैठक में आमंत्रित डॉ. उमा शंकर शर्मा, पूर्व कुलपति, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर ने कहा कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख समस्या है जो अन्य फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों, जैसे फल-फूल, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन आदि को प्रभावित कर रही है। जलवायु परिवर्तन के लिए तापमान प्रबंधन व मृदा में कार्बन स्तर में वृद्धि जैसे बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए। जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान आकर्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली मॉडल अनाज फसल आधारित न होकर उद्यानिकी फसल व पशु पालन आधारित होने चाहिए जिससे कि कृषकों को अधिक आय प्राप्त हो सके। साथ ही उन्होंने फसल बुवाई से लेकर मूल्य संवर्धन तक यांत्रिकीकरण की महत्ती आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि समेकित प्रणाली में उद्यानिकी फसलें, विदेशी मशरूम खेती को सम्मिलित करना चाहिए और बाजार स्थिति को देखते हुए मशरूम खेती को वर्षभर करने की सलाह दी। डॉ. शर्मा ने स्थानीय सब्जियों पर उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना पर जोर दिया साथ ही शस्य वानिकी फसलों पर कार्य करने पर जोर दिया।

बैठक के प्रारम्भ में अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविन्द वर्मा ने माननीय कुलपति अजित कुमार कनार्टक, डॉ. उमा शंकर शर्मा, पूर्व कुलपति एवं डॉ. एस. के. शर्मा, सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन) भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली का स्वागत किया। डॉ. वर्मा ने विगत 20वीं अनुसंधान परिषद् बैठक में लिये गये निर्णयों की अनुपालना रिपोर्ट एवं विश्वविद्यालय के गत 2 वर्षाें में किये गए कृषि अनुसंधान पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कृषि अनुसंधान केन्द्र, उदयपुर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अमित त्रिवेदी, कृषि अनुसंधान केन्द्र, बांसवाड़ा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. हरगिलास मीणा ने अपने क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्यों एवं परिणामों पर प्रस्तुतीकरण दिया।

बैठक में अनुसंधान निदेशालय के विभिन्न वैज्ञानिकगणों द्वारा लिखित बीज नीति बुलेटिन का विमोचन किया गया। बैठक में विश्वविद्यालय के निदेशक, सभी संघटक महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्रों के निदेशक, विश्वविद्यालय के परियोजना प्रभारी, विभिन्न विभागों के अध्यक्ष एवं कृषि विभाग राजस्थान सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like