अद्भुत भारत श्रृंखला की कड़ी में लेखक की दूसरी पुस्तक भारत के पश्चिम राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र ,गोवा और गुजरात की कला, संस्कृति और पर्यटन की खूबियों का पाठक से परिचय कराती है। सांस्कृतिक भिन्नता लिए भारत के ये राज्य पर्यटन की दृष्टि से जितनी भरपूर संभावनाएं लिए हैं ही इनका इतिहास भी इतना ही रोचक है। कई पर्यटक स्थल अंतर्राष्ट्रीय ख्याति लिए हैं वहीं इन राज्यों के कई स्थलों ने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में राज्यों के गौरव को बढ़ाया है। सांस्कृतिक उत्सवों की घूम भी सात समंदर पार विदेशों तक गूंजती है। लोक कलाकारों की वजह से संस्कृति विदेशों तक पहुंच कर अपना परचम लहरा रही है। जनजातियों की परंपराएं भी विविधता के साथ रोचक और लुभावनी हैं। समुद्र, पहाड़, जंगल, झील, झरने इनका शृंगार करते हैं। गोवा में विदेशी संस्कृति के दर्शन होते हैं।
इन राज्यों की विशेषताओं पर एक नज़र डालते है तो रणबांकुरों एवं वीरांगनाओं की रणभूमि, संतों एवं मनीषियों की तपोभूमि, बलिदान कर्ताओं की कर्म भूमि एवं पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में विख्यात राजस्थान आज अपनी अनेक खूबियों के लिए न केवल भारत में वरन् विश्व में अपनी पहचान बनाता है। यहाँ का मनोहारी एवं विशाल रेगिस्तान, पहाड़ों, नदियों एवं झीलों का सुन्दर परिवेश, भव्य एवं सुदृढ़ किले, आकर्षक महल, जैविक विविधता, समृद्ध कला- संस्कृति तथा जनजातीय संस्कृति एवं लज्जतदार खान-पान का जादू भारत आने वाले विदेशी पयर्टकों को अपने सम्मोहन में राजस्थान खींच लाता है।राजस्थान के पहाड़ी किलों सहित जयपुर का जन्तरमन्तर, घना पक्षी विहार और गुलाबी नगर जयपुर की चार दिवारी यूनेस्को की सूची में शामिल विश्व विरासत स्थल हैं। कोटा शहर
देश भर में शिक्षा नगरी के नाम से पहचान बनाता है और इस शहर से ही कर बहने वाली चम्बल नदी ने राजस्थान के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बीकानेर, बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके में भी इन्दिरा नहर परियोजना से हरियाली आई है। राजस्थान में फिल्मी शूटिंग की खूबसूरत लोकेशन फिल्मकारों को आमंत्रित करती हैं। ख्वाजा साहब की दरगाह और पुष्कर की वजह से अजमेर जिले में कौमी एकता का संगम स्थल होने के साथ - साथ अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाता है। राजस्थान में उदयपुर झीलों की नगरी, जोधपुर सूर्यनगरी, राजधानी जयपुर गुलाबी नगर, भरतपुर पक्षी अभयारण्य नगरी, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर म्हारो राजस्थान की राजपूताना संस्कृति की नगरी हैं। देश के सबसे बड़े इस राज्य के अब 41 जिले हो गए हैं। राज्य की संस्कृति और हस्तशिल्प की धूम पूरी दुनिया में है। राज्य के चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, आमेर, रणथंभोर और गागरोन किले, भरतपुर का घाना पक्षी बिहार विश्व धरोहर में शामिल हैं। जयगढ़ के पर स्थिति जयबाण तोप विश्व की सबसे बड़ी तोप है। कला और संस्कृति को पर्यटकों तक पहुंचाने के किए साल भर आयोजित पर्यटक उत्सवों में अजमेर का पूर्णिमा उत्सव,उदयपुर का शिल्पग्राम, गणगौर उत्सव, जोधपुर का मारवाड़ उत्सव, जैसलमेर का मरू उत्सव, बीकानेर का ऊंट उत्सव जयपुर का तीज, गणगौर,और अंतर्राष्ट्रीय पतंग उत्सव, बूंदी उत्सव उल्लेखनीय सांस्कृतिक आयोजन हैं। पैलेस ऑन व्हील शाही रेलगाड़ी और लज्जतदार खानपान भी पर्यटकों पसंद बन गया है।
बात महाराष्ट्र राज्य की करें तो कला-संस्कृति, साहित्य, संत परम्पराओं का धनी ऐतिहासिक विरासत के साथ पुरातन और अधुनातन का अनूठा संगम है महाराष्ट्र। स्वाभिमान के प्रतीक छत्रपति शिवाजी के प्रति सम्मान की भूमि पर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गणेश सावरकर, विनायक दामोदर सावरकर और ज्योति राव फूले, जैसे महापुरुषों का आजादी के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। अन्ना हजारे जैसे गाँधीवादी समाजसेवी ने दुनिया में मान बढ़ाया। शिर्डी के साई बाबा, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर, संत एकनाथ, संत तुकाराम, समर्थ रामदास और संत जानाबाई जैसे महान संतों ने धर्म और भक्ति की धारा प्रवाहित कर आस्था की ज्योति प्रज्वलित की। विभिन्न क्षेत्रों के कई महापुरुषों का योगदान देश में महाराष्ट्र को गौरवान्वित करता है। समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से जुड़ा विस्तृत व्यापारिक गतिविधियों वाले मुंबई महानगर को भारत की आर्थिक राजधानी कहलाने का गौरव प्राप्त है। प्राचीन मूर्ति शिल्प, स्थापत्य कला, चित्रकला के प्रतीक अजंता, एलोरा, एलिफेंटा और कन्हेरी की विश्व प्रसिद्ध गुफाएँ, गोथिक और इतालवी शैली में बनी अद्वितीय इमारतें, क्वीन नेकलेस के नाम से विख्यात अद्भुत मेरीन ड्राइव, विश्व प्रसिद्ध महाराज छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन और संग्रहालय धार्मिक दृष्टि से सिद्धि विनायक मन्दिर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग और मीलों पसरा अरब सागर और उसके तट पर गोवा तक अनगिनत खूबसूरत समुद्री बीच और पश्चिमी घाट के जलप्रपात, सह्याद्रि पर्वत मालाओं के चित्ताकर्षक दृश्य महाराष्ट्र राज्य की अपनी ही विशेषताएँ हैं। इसी भूमि से संगीत की दुनिया में सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेश्कर और
संगीतज्ञ भीमसेन जोशी देश के कोहिनूर हैं। दस दिनों तक आयोजित होने वाला गणेश चतुथी उत्सव और फरवरी में एलिफेंटा उत्सव प्रभुख सांस्कृतिक आयोजन हैं। एशिया का सबसे बड़ा वाटर किंगडम बेस पार्क और एस एल वर्ल्ड पर्यटन और मनोरंजन के आधुनिक माध्यम हैं। हिन्दी और अंग्रेजी के साथ-साथ मराठी, कोंकणी भाषाएँ प्रमुखता से बोली जाती हैं। मुंबई विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक पत्तन भारतीय नौ सेना का महत्वपूर्ण बेस है। पर्यटन के क्षेत्र में महाराष्ट्र अपनी समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधताओं के साथ आकर्षण का केन्द्र है।
गोवा को पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाता हैं ।
गोवा के पणजी शहर में विदेशी आभा देता इमारतों का स्थापत्य, एक से बढ़ कर एक नायाब ऐतिहासिक चर्च, विशाल समुद्र और इसके किनारे चालीस से अधिक प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज़ मनभावन समुद्री बीच लुभाते हैं। कोई हनीमून बीच, कोई मानसून बीच तो कोई नाइट लाइफ और वॉटर स्पोर्ट्स का मजा देते हैं। दोना एवं पाउल की प्रेम गाथा सुनाते बीच, समुद्र की लहरों पर एडवेंचर कूल पार्टी और नाइट न्यू ईयर पार्टी जैसी विशेषताओं से गोवा घरेलू और विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केन्द्र बन गया है। पर्यटकों की खास पसंद होने और बड़े पैमाने पर हर वक्त उनकी उपस्थिति गोवा की विदेशी सैलानियों के स्वर्ग के नाम से पहचान बनाता है। पर्यटक जो शाकाहारी हैं उन्हें यहाँ परेशानी हो सकती है अतः उन्हें अपने साथ दो-चार दिन तक खराब नहीं हो ऐसा खाने पीने का सामान अवश्य साथ लेजाना चाहिए। गोवा जाने के लिए हवाई सेवा, रेल सेवा और बस सेवा के साथ-साथ समुद्री क्रूज सेवा उपलब्ध है। सलाह रहेगी कि एक बार समुद्री यात्रा जरूर करें जो आपके जीवन की सर्वाधिक यादगार यात्रा रहेगी, नया अनुभव पल-पल आपको रोमांचित करेगा। पाँच सितारा और सात सितारा सुविधाओं जैसे जलेश और अंग्रिया नामक क्रूज मुंबई से गोवा के मध्य आपकी यात्रा को एक नई दुनिया की सैर कराते हुए ले जाएँगे। गोवा के सांस्कृतिक और प्राकृतिक वैभव को नज़दीक से अनुभव करने के लिए किराए पर बाइक से घूमने का अपना अलग मज़ा है। जनजीवन में रचे-बसे पोप और लोक संगीत एवं लोक नृत्य और कार्निवाल उत्सव का तो कहना ही क्या। गोवा में केसिनो, बीयर और समुद्री भोजन का प्रमुख स्थान है। गोवा के काजू प्रसिद्ध हैं जिनका ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूरोपीय राष्ट्रों को तथा लौह अयस्क खनिज का जापान और चीन को निर्यात किया जाता है। कई देशों को निर्यात किया जाता है। विदेशी पर्यटक तो यहां बहुतायत से आते ही हैं,गोवा को एक बार देखना भारतीय पर्यटकों का भी सपना होता है।
चर्चा गुजरात की करें तो गुजरात का नाम आते ही ज़हन में तैर जाता है महात्मा गाँधी का नाम जिन्होंने विश्व में अहिंसा के बल पर भारत को आजाद कराया था। 'राष्ट्रपिता' की उपाधि प्राप्त कर महात्मा गाँधी ने न केवल गुजरात का वरन् पूरे देश का गौरव दुनिया में बढ़ाया। यहीं पर लोह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार बल्लभभाई पटेल जैसे अनेक महापुरुषों ने भारत की आजादी के अन्दोलन में भाग लेकर गुजरात का मान बढ़ाया। ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं कला-शिल्प की दृष्टि से सम्पन्न गुजरात राज्य आज देश का सबसे प्रमुख व्यापारिक केन्द्र के रूप में उभरकर आगे आया है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित मोरारजी देसाई के रूप में भारत को यहीं से प्रधान मंत्री मिले। लोथल, धौलावीरा जैसे सिन्धुघाटी सभ्यता के प्राचीन स्थल, कच्छ के महान रण (रेगिस्तान) दुनिया का सबसे बड़ा नमक रेगिस्तान और जंगली गधों का अभयारण्य, सतपुड़ा पर्वत, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य, सबसे बड़ा समुद्री तट, अहमदपुर, माण्डवी, चारबाड़, उभरत एवं तीथल सुन्दर समुद्रीय बीच, पहला समुद्री नेशनल पार्क तथा राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन सापूतारा गुजरात की अपनी विशेषताएँ हैं। द्वारका, सोमनाथ और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, एकता की प्रतिमा, यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल अहमदाबाद, चंपानेर -पावागढ़ पुरातत्व पार्क, रानी की वाव, शीशे के काम के परिधान, गरबा एवं रास नृत्य, ढोकला, फाफड़ा, जलेबी, खांडवी, दाल ढोकली, ओसामन, मोहनथाल, थेपला, खाखरा जैसे लजीज व्यंजन जैसी विशेषताएँ गुजरात की सांस्कृतिक थाती हैं। भारत का पहला आयुर्वेद विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ शहर की तर्ज पर सुनियोजित गाँधी नगर (राज्य की राजधानी), भारत का पहला बन्दरगाह लोथल,अहमदाबाद एवं मध्य भारत का पहला एक्सप्रेसवे, वलसाड का पहला एकीकृत बागवानी जिला तथा और सूरत का सबसे बड़ा हीरा उद्योग राज्य के विकास की गाथा सुनाते प्रतीत होते हैं। गुजरात की भूमि से ही देश को वैज्ञानिक विक्रम साराभाई, समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती, देश के मुख्य न्यायाधीश पी. एन.भगवती, फिरोज गाँधी, अर्थशास्त्री दादाभाई नौरोजी, उद्योगपति धीरूभाई अंबानी, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, रतन टाटा, फिल्म निर्देशक मनमोहन देसाई, मुकेश शाह, अभिनेत्री आलिया भट्ट, उपन्यासकार-नाटककार लेखक के.एम.मुंशी सहित राजनीति, विज्ञान, अनुसंधान, क्रिकेट, सैन्य, साहित्य और कला क्षेत्र में अनेक विभूतियाँ हुईं जिन्होंने देश के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। आवरण पृष्ठ सुंदर और आकर्षक है जिस पर 9 प्रतिनिधि चित्रों से पश्चिम भारत की झलक दिखाई देती है।
एडवोकेट और पत्रकार अख्तर खान अकेला पुस्तक के प्राक्कथन में पश्चिम भारत के राज्यों के इतिहास से अन्य विशेषताओं को समाहित करते हुए लिखते है, " मुझे कहते हुए प्रसन्नता है की राजस्थान में कोटा निवासी पर्यटन लेखन में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त विख्यात लेखक डॉ.प्रभात कुमार सिंघल ने देश के पश्चिमी भारत क्षेत्र और संबंधित राज्यों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर इस पुस्तक का लेखन बहुत ही परिश्रम के साथ किया है। कोटा जैसे छोटे शहर में जहाँ बहुत अधिक संसाधन नहीं है इतने महत्वपूर्ण विषय पर लिखना निश्चित ही श्रमसाध्य कार्य है। उन्होंने अपनी पर्यटन यात्रा के अनुभवों से पुस्तक का महत्व दुगुणित किया है। जगह-जगह पर पर्यटकों की सुविधा के लिए अपने सुझावों का भी समावेश किया है। पर्यटकों के लिए यह कृति किसी मार्गदर्शक से कम नहीं हैं। "
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और इतिहास - संस्कृति के अध्येता डॉ. धर्मेंद्र भटनागर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर कहते है, " भारत में पश्चिमी राज्यों का विशेष महत्व हैं राजस्थान और गुजरात अन्य देशों से मिल कर अंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण करते है जो सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। देश के युवा थार के रेगिस्तान का बहुत बड़ा हिस्सा राजस्थान में आता है। देश में एकमात्र नमक का रेगिस्तान गुजरात के कच्छ में है। चारों राज्यों में अनेक पर्यटन स्थल होने के साथ - साथ समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के दर्शन होते हैं। गुजरात में विश्व विरासत में शामिल रानी की बाव को भारतीय मुद्रा में स्थान दिया गया है। पुस्तक सभी वर्ग के पाठकों के लिए हर दृष्टि से उपयोगी है और लेखक का श्रम साफ दिखाई देता है। "