अखिल भारतीय बारी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सत्येन्द्र कुमार बारी ने आज वरिष्ठ शिक्षाविद एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह से शिष्टाचार भेंटवार्ता की और उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस अवसर पर प्रोफेसर सिंह ने श्री बारी को राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक निमित्त मात्र हुं की प्रति उपहार स्वरूप भेंट की। श्री मिश्र ने सदैव राष्ट्रवादी विचारधारा का अनुसरण कर समाज के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत किया है।उनकी संवेदनशीलता तथा उनके सहज व्यवहार ने उन्हें संपूर्ण राष्ट्र में अत्यंत लोकप्रिय एवं आदरणीय बनाया है। बैठक में महिला सशक्तिकरण, कौशल शिक्षा, स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता और नारी उत्थान से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर चर्चा हुई।
पूर्व कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने कहा की नारी की सुदृढ़ एवं सम्मानजनक स्थिति एक उन्नत, समृद्ध तथा मज़बूत समाज की द्योतक है। वर्तमान में नारियाँ प्रत्येक क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं। शिक्षा एवं आर्थिक स्वतंत्रता ने महिलाओं में नवीन चेतना भर दी है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका में वृद्धि हो रही है।भारत वर्ष एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहां महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है।सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, और पराम्परा महिलाओं के कारण ही एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में हस्तान्तरीत होती हैं। यह न केवल एक समाज की नीति होती है, बल्कि यह एक समृद्ध और विकसित समाज की पहचान भी है। प्रसिद्ध अमेरिकी धार्मिक नेता ब्रिघम यंग ने ठीक ही कहा है कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। महिलाओं के विकास हेतु सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक नीतियों का निर्माण आवश्यक हैं। इस प्रकार हम पाते हैं कि जब भी राष्ट्र को सशक्त करने की बात आती है तो महिला सशक्तीकरण के पहलू को अनदेखा नहीं किया जा सकता।शीर्ष क्षेत्र में भी महिलाओं ने अपनी सफलता की कहानी दुनिया के सामने रखी है। आर्थिक अधिकारों की प्राप्ति तथा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के कारण महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है।
अखिल भारतीय बारी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सत्येन्द्र कुमार बारी ने कहा की महिला सशक्तिकरण की गति पिछले दशकों तक धीमी रही। गरीबी व निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधा रही हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं को व्यवसाय की ओर प्रोत्साहित कर इन्हे आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जा सकता है। विशेषकर कृषि प्रसंस्करण उद्योगों, बैंकिंग सेवाओं और डिजिटलीकरण की सहायता से महिलाओं के सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण की शुरुआत की जा सकती है।भारतीय महिलाएं ऊर्जा से लबरेज, दूरदर्शिता, जीवन्त उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बडे़ उदाहरण स्थापित किए हैं। वर्तमान में प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, समावेशी आर्थिक और सामाजिक विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है।महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं।