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फलता की कहानी नौनिहालों की करिश्माई कहानी सुना रहा है यह गाँव

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27 Apr 17
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फलता की कहानी  नौनिहालों की करिश्माई कहानी सुना रहा है यह गाँव राजसमन्द,प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर जारी स्वच्छ भारत मिशन के बेहतर क्रियान्वयन की दिशा में राजस्थान का राजसमन्द जिला पीछे नहीं है।

स्वच्छता को अपनाने के लिए निरन्तर लोक जागरण और घर-घर शौचालय बनाकर इनके उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिले भर में चल रही जनचेतना गतिविधियों ने हर तरफ स्वच्छ भारत मिशन का अच्छा-खासा माहौल बना दिया है।

बना स्वच्छता का माहौल

हर वर्ग, समुदाय और क्षेत्र इस अभियान में अपनी किसी न किसी रूप में भागीदारी निभा रहा है। जन प्रतिनिधियों, सरकारी मशीनरी और समाज-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों तथा बड़े-बूढ़ों से लेकर बच्चों और महिलाओं तक में इस मिशन के प्रति दिलचस्पी बढ़ती जा रही है और वे किसी न किसी रूप में इस अभियान में हिस्सा बँटाने लगे हैं।

नन्हें हाथों का बड़ा कमाल

राजसमन्द जिले के नौनिहालों में भी इस अभियान को लेकर उत्साह का अतिरेक देखने को मिल रहा है। जिले की रेलमगरा पंचायत समिति की सकरावास ग्राम पंचायत अन्तर्गत मोर्रा गांव के बच्चों ने स्वच्छता को लेकर ऎसा नायाब काम कर दिखाया है जिसे देखकर लगता है कि किसी भी सामाजिक परिवर्तन और जनचेतना क्रान्ति के लिए धन और आयु कोई मायने नहीं रखती यदि समाज और क्षेत्र के लिए जीने और कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा हो।

इस गांव के बच्चों ने बिना किसी वित्तीय प्रावधान के स्वच्छता के क्षेत्र में अनुकरणीय इतिहास कायम कर दिया है। लगभग डेढ़ सौ घरों की बस्ती वाले मोर्रा गांव में 100 से अधिक घरों के बाहर आज कचरा पात्र रखे हुए हैं जिनके उपयोग से गांव में स्वच्छता का परिवेश दिखाई दे रहा है।

हर घर के बाहर हैं कचरा पात्र

यह सारा कमाल कर दिखाया है गांव के छोटे बच्चों ने जिन्होंने ग्राम्य स्वच्छता के लिए मौलिक आईडिया सोचा और इसे अंजाम दे डाला। इन बच्चों ने घर-घर जाकर एक-एक पीपा (कनस्तर) इकट्ठा किया। इसके बाद अपनी पॉकेट मनी के पैसों से कलर और ब्रश का इन्तजाम किया और हर कनस्तर पर ‘कचरा पात्र’ और ‘स्वच्छ भारत’ लिख दिया।

इसे तार से बांध कर बाल्टीनुमा बना कर हर घर के बाहर रख दिया। आज गांव के लोग बच्चों के बनाए कचरा पात्रों को इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे ग्राम्य स्वच्छता ने नए दौर में प्रवेश कर लिया है।

मोर्रा गांव के बच्चों ने यह जता दिया है कि वे छोटे बच्चे जरूर हैं लेकिन उनमें भी वो माद्दा है कि परिवर्तन को आकार दे सकते हैं। गांव के बच्चों ने वो कर दिखाया है जो बड़े आज तक नहीं कर सके थे।

बच्चों की पहल से आगे आया समुदाय

आईसीएस की टीम ने इस गांव में बच्चों को पेर््ररित करते हुए सहयोग देने में कोई कमी नहीं रखी। बच्चों से सीख लेकर समुदाय के लोग भी स्वच्छ भारत मिशन को आशातीत सफलता देने में अपनी समर्पित भागीदारी अदा करने लगे हैं।

रेलमगरा क्षेत्र में सामाजिक बदलाव के विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक गतिविधियों को मूर्त रूप दे रही संस्था ‘जतन’ की कार्यकर्ता सुमित्रा मेनारिया भी इस गांव में स्वच्छता की अलख जगा रही हैं।

बच्चों की पीठ थपथपाना नहीं भूलता कोई

मोर्रा गांव में स्वच्छता की बहुआयामी प्रवृत्तियों का ही परिणाम है कि अब यह गाँव जल्द ही खुले में शौच मुक्त घोषित होने की डगर पर पर है। जो कोई मोर्रा का दृश्य देखता है, बच्चों को शाबाशी देना नहीं भूलता। इस मायने मंंे मोर्रा के नौनिहालों की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है।

जिला स्वच्छता मिशन के जिला परियोजना समन्वयक श्री नानालाल सालवी बताते हैं कि हाल ही इस गांव में भ्रमण के दौरान बच्चाें द्वारा स्वच्छता के लिए किए गए इस कमाल ने आश्चर्य में डाल दिया। अब आस-पास के क्षेत्रों के बच्चे भी मोर्रा गांव के नौनिहालों से प्रेरणा पाने लगे हैं।
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