बरसात से पूर्व पशुओं में गल घोंटू, लंगडा बुखार और थापा रोग से बचाव हेतु टीकाकरण अवश्य करवाये, ये रोग एक से दूसरे में फैलता है। इस रोग से ग्रसीत होने से ६ से १२ घंटे में पषु की मौत भी हो सकती है। बरसात से पशु का बचाव करे ताकि निमोनिया ना हो, बाडे की साफ सफाई का ध्यान रखें। नए पानी से पहले कृमिनाशक दवा वर्ष में २ बार, अवश्य पिलाये। ये जानकारी डॉ सुनील कुमार वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी, गंगरार ने हिंदुस्तान जिंक एवं बायफ इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी लाइवलीहुड एन्ड डेवलपमेंट के सौजन्य से समाधान परियोजना के अंतर्गत सुवानीया ग्रामपंचायत के मेडी खेडा गांव में आयोजित उन्नत नस्ल एवं वत्स प्रदर्शनी में किसानों को दी। गांव के वरिष्ठ सवाईराम , बायफ के डॉ महेंद्र गुप्ता, सीएसआर सह प्रबन्धक शिव भगवान, घोसुंडी सरपंच उत्तरा दशोरा ने प्रदर्शनी में आये बछडे बछडयों का तिलक कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस अवसर पर डॉ सुनील कुमार ने कहा कि पशुपालन तकनीकी रूप से हो तो आर्थिक फायदा लिया जा सकता है। अच्छी नस्ल की बछडयों से दुग्ध उत्पादन ले। गिर नस्ल की देशी गाय अच्छा दूध, भैंसों में मुर्रा नस्ल की अच्छी भैंस से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। पशुओं के स्वस्थ एवं पाचन के लिए नमक अवश्य खिलाएं। विभाग की योजना भामाशाह पशुबीमा योजना चलाई है जिसमे बीमा करा कर लाभ लिया जा सकता है।
बायफ के डॉ महेंद्र गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि हर मत्वपूर्ण त्यौहार होली ,दीवाली और रक्षाबंधन पर पशुओं में पेट के कीडों की दवा पिलाना याद रखे, बीमारी से पूर्व टीकाकरण, एवं नमक ,चुने से पशुओं को बचाव के साथ ,आमदनी में तीन गुना तक वृद्धि की जा सकती है। मिनरल मिक्सचर और पौष्टिक आहार आवश्यक है।
हिंदुस्तान जिंक की और से समाधान परियोजना के तहत पशुपालको और किसानों के लिए चलाई जा रही योजना में स्वास्थ्य सुधार, नस्ल सुधार और आमदनी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पशुपालको और किसानों को उन्नत और तकनीकी पशुपालन की जानकारी उप्लब्ध कराना है। पशुओं में पोषण का बहुत महत्व है, यह आवश्यक है कि पशुओं का स्वास्थ्य सही हो तभी उनसे प्राप्त उत्पादन अच्छा होगा। इस अवसर पर ७ गावों नरपत की खेडी, बोदियाना, डगला का खेडा, मेडी खेडा, आजोलिया का खेडा और भवानीपुरा के २० पशुपालको को श्रेष्ठ बछडयों के लिए अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बायफ के रतन कुमावत, रामस्वरूप वैश्णव, नारायण जोषी सहित ग्रामीण एवं पषुपालक उपस्थित थे।
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