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आज से तीन दिवसीय इन्टरनेशनल कल प्रदर्षनी सिटी पैलेस में

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26 May 18
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उदयपुर। पिछले पांच दिनों से द पिवोट आर्ट द्वारा बडी स्थित हिल गार्डन होटल में चल रहे अन्तराष्ट्रीय आर्ट केम्प में २१ देशो के ५१ कलाकारों द्वारा केनवास पर उकेरी जा रही कल्पनाषीलता की कला का आज सिटी पैलेस में लक्ष्यराजसिंह मेवाड ने उद्घाटन किया। यह प्रदर्षनी २७ मई तक आमजनता के लिये खुली रहेगी। सिटी पैलेस में आयोजित एक समारोह में सभी ५१ कलाकारों को षॉल ओढाकर एंव स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
द पिवोर्ट के सुषील निम्बार्क ने बताया कि इस शिविर में देष-विदेष चितेरों ने केनवास पर अपने मन के भावों,कल्पनाओं, विचारों को रंगों, टेक्सचर व रेखा के जरिये दर्षनीय एवं आकर्शक चित्रों के संसार को जीवन्त कर दिया। षहर के कलाप्रेमी पिछले ५ दिनों से इस षिविर का अवलोकन कर चित्रकारों की कल्पनाओं की भूरपर सराहना की।
उन्होंने बताया कि कलाप्रेमी चित्रों में विदेषों की परम्पराओं,विरासतों और नवीन कला तकनीके संगम को एक ही केनवास पर देखकर मंत्रमुग्ध हो गये। शिविर में दिल्ली से आये ख्यातिप्राप्त चित्रकार जया जारोटिया ने अपने केनवास में घोडे एवं स्त्री के चेहरे को सामर्थ्यशाली स्पेस डिविजन के साथ,कोमल एवं स्निगध रंगों के साथ मानवीय संबंध के पारस्परिक वैचारिक आदान-प्रदान को अभिव्यक्त करने में सफल रहे।
उदयपुर के ही चित्रकार मकबूल अहमद अब्बासी ने अपने केनवास में रंगों का इस प्रकार से प्रयोग किया कि केनवास में अलौकिक प्रभाव दृश्टिगत हुआ। इजरायल के टेड बार ने अंाखों को प्रतीकात्मक देकर मानवीय दृष्टी में आखों की भूमिका किस प्रकार पर्यावरण के जीवंत व ज्वलंत पहलुओं को केनवास पर उतारा है,जों आखों को भा रहा है।
वहीं दीपक सालवी ने अपनी कलाकृति में मानवीय जीवन में रिष्तों व उनके बीच संबंधों में जन्म व मृत्यु के बीच किस प्रकार हम एक प्रकार के विभ्रम में जीवन गुजार देते ह। इन विचारों को कूंची के माध्यम से केनवास पर बखूबी उतारा है। इस केनवास पर पीला व घुसट रंग को बेहतरीन उपयोग किया है।
सुषील निम्बार्क ने केनवास पर अनेक नवीन तकनीकों व टेक्सपटल परत दर परत रंगों के स्ट्रोक्स से मूर्त किन्तु अमूर्त प्रभावना वाले तरीके से परिणाम कारक प्रभाव उत्पन्न कर चित्र में एक प्रकार से मानवीय अन्तर्मन में छिपे गूढ रहस्यों की खोज करने प्रयास किया।
राजेष यादव ने फेस टू फेस नामक श्रृख्ंाला को आगे बढाने के लिये अपने ही चित्रों में दो परम्पराओं मे छिपे आग्रहों को प्रकट किया है।

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