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’’सफलता को हांसिल करने और उसे महसूस करने में अंतर‘‘

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29 Nov 17
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’’सफलता को हांसिल करने और उसे महसूस करने में अंतर‘‘ जीवन में सफलता को हासिल करना और उसे महसूस करने में अंतर है, सफलता कई लोग हासिल करते हैं लकिन बहुत कम लोग उसे महसूस करते है। आप जीवन को चुने, खुशी को चुन,े अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। आपको हर जगह पर जिम्मेदारी निभानी है जिसे प्रसन्नता से निभाते हुए सफलता पाई जा सकती है। यह बात पिछले २१ वर्षों से इस्कॉन से जुडे गुरू गौडगोपालदास ने मंगलवार को हिन्दुस्तान जिंक यशद भवन के ऑडिटोरियम में जिंक कर्मचारियों के लिए ’एन इनसाईट‘ कार्यक्रम के तहत अपने उद्बोधन में कही। जिंक के सभी कर्मचारी गुरू गौडगोपाल दास के उद्बोधन से गौरवान्वित हुए।
गुरू परम गौडगोपाल जी दास ने कहा कि क्या आप अंदर से खुश है?,उसे पहचानिए, मन के भीतर से खुश रहना और खुशी के आडंबर में गहरा अंतर है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में स्थिरता होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि एक हल्का सा हिलाने से सोडे की बोतल में उछाल आ जाता है जबकि पानी की बोतल शांत प्रवृति प्रस्तुत करती ह। मनुष्य के चरित्र में जल जैसा स्वभाव होना चाहिए। निरंतर गति का नाम है जीवन। हर इंसान के जीवन में सदैव ऐसे पल आते हैं, जब उसे लगता है कि दुनिया कितनी सुंदर है और जीवन कितना आनंदायी है। जीवन में गति का अर्थ है, जीवन के हर पल को पूरी चेतना से जीना। उन्होंने जीने के रास्ते बताते हुए कहा कि स्वयं को ही जीना पडता है आप उत्साह से जीये तथा निराश होकर ना जीये। उन्होंने कहा कि आधुनिक सभ्यता की पहचान संस्कृति और सभ्यता को भूलना नहीं है। वरन प्रगति, उन्नति को जीवन में संतुलन बनाकर सफलता के लिए जिम्मेदार बने।
उन्होने कहा कि संघर्ष ही जीवन है, हर मनुष्य के जीवन में चुनौतियां आती है, लेकिन चुनौतियों का सामना करने से पहले हार मानना कमजोरी है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अपनी-अपनी समस्याएं होती लेकिन समस्याओं से भागना समाधान नहीं है बल्कि समस्याओं का समाधान के लिए प्रयास करना चाहिए। जीवन में आरम्भ से लेकर अंत तक कई प्रकार की बाधाएं आती है लेकिन यह आप पर निर्भर है कि आप क्या चयन करते हो और उसे कितना बडा मानते हो।
गुरू गोपाल दास जी ने बताया कि मनुष्य को जीवन सदैव खुश एवं प्रसन्न होकर जीना चाहिए। खुशियों को बांटना चाहिए। सुख-दुख बांटने से जीवन में हलकापन आता है। जीवन में समस्याओं को लेकर बैठने से कार्य बिगडता है। दोस्तों, रिश्तेदारों एवं शुभचिन्तकों को समस्याओं के बारे में बताने से समाधान मिलता है। प्रत्येक को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की अपने कार्य के प्रति जिम्मेदारी होती है। कार्य को समय पर पूर्ण करना चाहिए लेकिन व्यक्ति को कार्य के साथ-साथ दिमाग को कुछ समय के लिए विश्राम भी देना चाहिए जिससे अधिक एवं बेहतर कार्य किया जा सके।
उन्होनें जिंक के कर्मचारियों का उत्सावर्धक करते हुए कहा कि अपने कार्य का आदर करते हुए स्वयं के लिए समय निकाले जिसमें अपनी पंसद की अभिरूचि को पूरा करे, मेडिटेशन से जुडे और ध्यान करें जिससे आप में ऊर्जा का संचार हो।
इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकरी श्री सुनील दुग्गल ने गुरू गौडगोपाल दास को धन्यवाद दिया। श्री दुग्गल ने कहा कि जीवन एक अवसर है जिसमें हम माध्यम बनकर बडी-बडी उपब्धियों को हासिल कर सकते हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उन अवसरों का सकारात्मक लाभ कैसे उठाये जिससे हमें ही नहीं दूसरों को भी लाभ मिले।
इस अवसर पर गुरू गौडगोपाल जी दास एवं श्री सुनील दुग्गल ने हिन्दुस्तान जिंक के यशद भवन परिसर में वृक्षारोपण किया एवं उच्च अधिकारियों से अनौपचारिक चर्चा भी की।
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने बताया कि हिन्दुस्तान जिंक द्वारा इस प्रकार की मोटिवेशनल स्पीच से कर्मचारियों को कार्य में क्षमतावर्धन के साथ-साथ मानसिक तौर पर शांति और कार्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है। हिन्दुस्तान जिंक ‘एन इनसाईट‘ कार्यक्रम की यह दूसरी प्रस्तुती है, पहले कार्यक्रम में अभिनेता आशीष विद्यार्थी हिन्दुस्तान जिंक के कर्मचारियों से रूबरू हो चुके है।


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