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किसी के लिए बुरा सोचना भी हिंसा- श्रीवर्धन

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23 Jun 17
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किसी के लिए बुरा सोचना भी हिंसा- श्रीवर्धन
आरोग्य भारती एवं भारतीय संस्कृति अभ्युत्थान न्यास के संयुक्त तत्वाधान में सेक्टर 4 स्थित विद्यानिकेतन विद्यालय के सभागार में चल रहे त्रिदिवसीय योगनिद्रा शिविर के दूसरे दिन भी लोगो ने बड़े उत्साह से स्वास्थ्यपरक मुद्राओ की जानकारी ली।
यह शिविर दिनांक 21 जून 2017 से 23 जून 2017 तक तीन दिवसीय प्रतिदिन सहाय 6:30 से 8:00 बजे तक नित्य चल रहा है।

शिविर के मुख्य योग प्रशिक्षक श्रीवर्धन ने प्रारंभ में स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या के निवारण हेतु सूक्ष्म योग कमर दर्द एवं हाथों में झनझनाहट के निवारण हेतु नटराज मुद्रा एवं योग निद्रा से लाभांवित किया । इस अवसर पर योगनिद्रा के माध्यम से मांस पेंच मांस पेशीय तनाव भावनात्मक तनाव एवं मानसिक तनाव इत्यादि के निवारण के उपाय लोगों ने उत्साह से जाने एवं अपने जीवन में उतारने हेतु जिज्ञासा दिखाई ।
इस अवसर पर योग प्रशिक्षक श्रीवर्धन ने बताया कि उपरोक्त तीनों तनावों का परिणाम अपने शरीर की विभिन्य ग्रंथियों के रिसाव पर होता है उससे हमारे शरीर में रासायनिक असंतुलन होता है परिणाम स्वरूप अपने शरीर में विभिन्न मनोदैहिक बीमारियां जैसे मधुमेह ,उच्च रक्तचाप, अर्ध-कपाली (माइग्रेन), दमा, अल्सर, कैंसर, पाचन संस्थान एवं चर्म संबंधी व्याधियां होती है ,डिप्रेशन के कारण आत्महत्या करने की ओर लोग अग्रसर होते हैं , इन सभी व्याधियों का एकमात्र समाधान है योग निद्रा एवम मुद्रा।इसके अभ्यास से चमत्कारिक प्रभाव होते है एवं तथा हमारी कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

आज शिविर के द्वितीय दिवस पर मुख्य योग प्रशिक्षक श्रीवर्धन ने योग निद्रा एवम मुद्राओ से लोगों को लाभान्वित करते हुए हाथ की विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से रोगोपचार की विधि बताते हुए कहा कि हस्त मुद्राओं के चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होते हैं।
इससे शरीर की चय अपचय क्रिया संतुलित होती है, उच्च रक्तचाप मधुमेह कैंसर ह्रदय रोग आदि कई गंभीर रोगों में इसका अतुलनीय लाभ है। तथा प्राण मुद्रा का प्रयोग ह्रदयघात के होने पर प्राथमिक चिकित्सा के रूप में भी कारगर सिद्ध हुआ है।
उन्होंने अष्टांग योग के योग सूत्र यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार ध्यान धारणा समाधि आदि के बारे में विस्तारपूर्वक समझाया इस अवसर पर शिविरार्थियों ने अपने अनुभवों को भी साझा किया उन्होंने कहा कि यम का अर्थ सामाजिक व्यवहार है तथा नियम का अर्थ श्रम के प्रति अपना व्यवहार बताया, कहा कि किसी के लिए बुरा सोचना भी हिंसा है।
इस अवसर पर उन्होंने अहिंसा सत्य आदि कई विषयों पर विस्तृत चर्चा की ।
इससे पूर्व मुख्य योग प्रशिक्षक श्रीवर्धन ने आकाश मुद्रा, भूख बढ़ाने के लिए पृथ्वी मुद्रा, चर्म रोग के उपचार हेतु इन्द्र मुद्रा, जोड़ों के दर्द के उपचार हेतु वायुमुद्रा , कान से संबंधित झनझनाहट आदि उपचार हेतु शून्य मुद्रा, वजन डायबिटीज मोतियाबिंद के उपचार में सहयोगी सूर्य मुद्रा, गुर्दा जननांग नाभि के उपचार हेतु अपान मुद्रा रक्त संचार में सहयोगी यान मुद्रा, सिरदर्द में उदान मुद्रा, ध्यान लगाने के लिए समान मुद्रा, ह्रदय रोग में सहयोगी मृत संजीवनी मुद्रा, पथरी के उपचार में सहयोगी गुर्दा मुद्रा आदि कई विषयों के बारे में महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक जानकारी देते हुए सभी को उत्साहपूर्वक प्रायोगिक मुद्राएं करवाई तथा योगनिद्रा से उपस्थित 400 से अधिक लोग लाभान्वित हुए ।
अंत में उन्होंने आरोग्य भारती संगठन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आरोग्य भारती प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रखने हेतु विभिन्न पेथियो के माध्यम से जिसमें एलोपैथी एक्यूप्रेशर आयुर्वेद आदि विभिन्न पेथियो के माध्यम से व्यक्ति को स्वस्थ रखने का उद्देश्य लेकर कई वर्षों से निरंतर कार्य करता आ रहा है।इस अवसर पर लोगो ने अपने उत्तम अनुभव भी बताए।

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