उदयपुर। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद उदयपुर द्वारा आचार्यश्री महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी श्री गुणमाला ठाणा-4 के सान्निध्य में प्रज्ञा शिखर महाप्रज्ञ विहार भुवाणा में दायित्व बोध शक्ति, भक्ति, शांति, क्रांति विषय पर एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में उदयपुर शहर जिला के साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये सैंकड़ों युवाओं ने प्रशिक्षण का लाभ लिया। शिविर के द्वितीय सत्र में शपथ ग्रहण एवं सम्मान समारोह हुआ।
तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कटारिया ने की। इनके साथ ही उपाध्यक्ष मुकेश गुगलिया, पंकज डागा, महामंत्री संदीप कोठारी, राष्ट्रीय संयोजक श्रेयांस कोठारी, सुबोध पुगलिया एवं प्रांतीय संयोजक देव चावत, तरूण भंसाली की गरिमामयी उपस्थिति रही।
दायित्व बोध कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विमल कटारिया ने कहा कि जीवन में सुख की कोई परिभाषा नहीं होती है। अगर आपको जीवन में सुखी रहना है, सफल होना है तो माता-पिता का सम्मान करो। उनकी सेवा करो और हमेशा कोई भी कार्य शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लो। युवाओं का सबसे पहला दायित्व बोध माता-पिता, बहन, बेटी और परिवार का सम्मान करने का होता है। जो अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं उन्हें आगे बढऩे से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। माता, पत्नी, बहन और बेटी यह परिवार की मुख्य धुरी होती हैं। इनके प्रति हमेशा अपने दायित्व का बोध रहना चाहिये।
कटारिया ने नारी शक्ति की महिमा को बताते हुए कहा कि पुरूष का जीवन नारी के बिना कुछ भी नहीं होता। हर सफल पुरूष के पीछे नारी का हाथ होता है। हमें नारी शक्ति के प्रति भी हमारे दायित्व बोध को नहीं भूलना चाहिये। हमेशा उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना तथा उनके प्रति समर्पण का भाव रखना चाहिये। चाहे वह मां हो, बहन हो, बेटी हो या पत्नी हो। कार्यशाला के दौरान उन्होंने सभी युवाओं से पांच मिनिट की मौन साधना भी करवाई। इसमें जाने-अनजाने में किसी का दिल दुखाया हो तो उनसे खमतखामाणा भी करवाया।
प्रमुख समाजसेवी एवं तेरापंथ युवक परिषद के मार्गदर्शक एवं विचारक सवाईलाल पोखरना ने कहा कि सिर्फ दायित्व बोध का विश्लेषण करने से ही काम नहीं चलेगा, इन्हें हम जब तक अपने जीवन में नहीं उतारेंगे तब तक दायित्व बोध होना मुश्किल है।
इस अवसर पर साध्वीश्री गुणमालजी ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी जो धैर्यपूर्वक आगे बढ़ता रहता है सफलता उनके कदमों में होती है। प्रतिशोध में भी व्यक्ति को स्थिर रहना चाहिये। हर व्यक्ति को अपना दायित्व बोध ध्यान में होना चाहिये। दायित्व बोध सिर्फ शिविर लगाने, कार्यशाला करने और उनमें मात्र भीड़ इक_ा करने से ही नहीं आता है, इसे जब तक जीवन में आत्मसात नहीं करेंगे तब तक दायित्व बोध नहीं होगा। जहां सभी के एक होने के बाद भी आपस में मनमुटाव और प्रतिशोध की भावना आ जाती है वह परिवार हो या संघ कभी भी सफल नहीं हो पाता है। स्वार्थ को एक तरफ रख कर ही दायित्व बोध का निर्वाह किया जा सकता है। मां-बाप की सेवा के लिए खुद के पास समय नहीं होने के कारण नौकर रख देना यह दायित्व बोध नहीं है। स्वयं, परिवार एवं संघ के प्रति हमारे क्या दायित्व होते हैं इनका बोध हर एक को होना चाहिये तभी जाकर जीवन के तीनों महत्वपूर्ण अंगों के साथ हमारा सामंजस्य स्थापित हो पाएगा और जीवन सफल होगा।
तेयुप मंत्री पीयूष जारोली ने बताया कि राष्ट्रीय महामंत्री संदीप कोठारी ने कहा कि संगठन में कैसे सामंजस्य बिठाया जाए, कैसे संगठन के कार्यों में फण्ड मैनेज किया जाए, कैसे पूरे संगठन को साथ लेकर सामाजिक समरसता का भाव लाया जाए एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकेश गुगलिया और पंकज डागा ने अभातेयुप के 24 सूत्रीय कार्यक्रम एवं संविधान की जानकारी दी।
कार्यशाला संयोजक अभिषेक पोखरना ने बताया कि कार्यशाला की तैयारियों में विनोद मांडोत, राजकुमार कच्छारा, राकेश नाहर, मुकेश कच्छारा, संजय कावडिय़ा, करण बैद, अशोक भटेवरा, मनोज लोढा, विशाल पोरवाल सहित परिषद के करीब सौ कार्यकर्ता पिछले पंद्रह दिन से रात दिन लगे हुए थे। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता, महिला मंडल की उपाध्यक्ष सुमन डागलिया सहित कार्यशाला में अर्थ सहयोग करने वाले भामाशाह उपस्थित उपस्थित रहे।
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