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जर्जर पुलो से गुजर रही शटल

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14 Feb 17
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कोंच(जालौन)-: यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बेपरवाह रेलवे प्रशासन ऐसे जर्जर पुलों पर रेल का संचालन कर रहा है जिनकी मियाद वर्षों पहले ही खत्म हो चुकी है। यदि रेलवे के अधिकारी समय रहते नहीं चेते तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बिट्रिश शासन काल में वर्ष 1901 में चलाई गई एट-कोंच शटल ट्रेन का रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की अब अधिकतम 30 किमी प्रति घंटा हो गई है। इसकी वजह एक दशक पुरानी रेलवे लाइन व रेलवे ट्रैक पर पड़ने वाली नहरों पर बने पुल है। जो वर्षों पूर्व अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं। रेलवे स्टेशन छोड़ते ही शटल जब मलंगा नाले के पुल पर पहुंचती है तो यात्रियों की सांसें रुक जाती हैं। मलंगा नाले का यह पुल 115 वर्ष पुराना हो चुका है। विभागीय अधिकारी भी मानते हैं कि पुल कमजोर है कभी भी कुछ हो सकता है लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि इसके बाद भी शटल को इस जर्जर पुल से गुजरने दिया जाता है। कोंच-एट रेलवे लाइन पर मलंगा नाला ही एक मात्र पुल ही नहीं है, बल्कि चार ऐसे छोटे पुल और भी हैं जो अपनी समय सीमा पूरा कर चुके हैं। पिछले वर्ष रेलवे अभियंताओं ने एक नए पुल का निर्माण भी कराया था। तब कहा जा रहा था कि सभी जर्जर पुल नए सिरे से बनाए जाएंगे। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी जर्जर पुलों का निर्माण शुरू नहीं किया गया है। ट्रेन आज भी इन जर्जर पुलों पर चल रही है। यात्रियों की जान को लेकर बरती जा रही लापरवाही से नगर के लोग खासे नाराज नजर आ रहे हैं। मालूम हो कि कोंच एट रेलवे ट्रैक रेलवे का सबसे छोटा ट्रैक है। इसकी दूरी 14 किमी है। बिट्रिश काल में औद्योगिक नगर होने के कारण यहां रेलवे की लाइन डाली गयी थी हालांकि रेलवे लाइन को आगे दिबियापुर तक जाना था परंतु जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण लाइन नगर से आगे नहीं बढ़ सकी।
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