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115 तपस्वियों ने एक स्वर में कहा- क्षमा वीरस्य भूषणम

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07 Sep 17
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115  तपस्वियों ने  एक स्वर में कहा- क्षमा वीरस्य भूषणम उदयपुर,दसलक्षण महापर्व की पूर्णाहुति के अवसर पर नगर निगम के टाउन हॉल प्रांगण में तपस्वियों, साधकों और हजारों श्रावकों को धर्मोपदेश देते हुए आचर्यश्री सुनीलसागरजी महाराज ने पारना पर्व पर धर्म का मर्म समझाते हुए कहा कि पानी में रहने पर भी पत्थर नहीं पिघलता, दूध में धुलने पर भी कोयला उजला नहीं होता, इसी तरह बिना वैराग्य और विवेक के चाहे लाख उपवास कर लो, उपदेश सुन लो जीवन संवर सकता नह। कोई पानी पीकर, फलाहर करके उपवास मानता है लेकिन केवल दिगंबर जिनशासन है जिसमें निर्जल उपवास केवल आयु व वायु के बल पर अपनी साधना करता है। यहाँ आशीर्वाद गुरुदेव व परमात्मा का मिलता है।चरित्र से व्यक्ति की पहचान होती है। कई बार देखने में आता है मात्र एक उपवास से ही व्यक्ति का चेहरा लटक जाता है लेकिन यहां 11, 16 ओर 32 उपवास तक की हिम्मत दिखाई है, यह अपने आपमें ही अदभुद है। यह बडी ही कठोर तपस्या है। जितनी कठिन तपस्या होती है उसका फल भी अत्यन्त ही सुखदायी मिलता है, मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं, परमात्मा से निकटता बढ जाती है।
आचार्यश्री ने कहा कि कभी गलती भी हो जाए तो डरना नहीं, पीछे नहीं हटना, काम करने वालों से ही गलती होती है, कोशिश करते रहो, क्षमा मांग लो। हमेशा फूलों की तरह मुस्कुराओ, भँवरों की तरह गुनगुनाओ, चुप रहने से तो रिश्तों में बिगाड व दूरियाँ आती है। क्षमा सिर्फ मित्र जन व प्रिय जन से ही मत मांगों पहली क्षमा उनसे मांगो जो आफ रिश्तेदार हैं, जिनसे कई समय से बोलचाल बन्द है। हमेशा मन में भाव यह रखना चाहिये कि कोई हमसे दुश्मनी रखना चाहे रखे, लेकिन हमारी किसी से कोई दुश्मन नहीं है। सबसे प्रेम करो, स्वयं पर कठोर अनुशासन रखो। आदमी को चाहिए दयामय जीवन जिए। हीन बुद्धिवाले कहते है, यह मेरा है या तेरा है, प्रज्ञ पुरुष कहते है सारी सृष्टि ही कटुंब है। रिश्तों की कीमत करे।
आचार्यश्री ने कह कि मंदिर जाओ, आत्म स्वरूप के निकट आओ। पत्थर के भगवान को लगते छप्पन भोग, फूटपाथ पर मरते भूखे लोग, यह धर्म नहीं है। दया, दान, समय, काल, परिस्थिति समझकर प्रभावना करो। पारना भी कर, साथ में क्षमा याचना भी करो।
115 तपस्वियों का हुआ पारणाः अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत एवं सुरेश पदमावत ने बताया कि दस लक्षण पर्व की समाप्ति एवं पूर्णिमा के अवसर पर प्रातः काल 6.3॰ बजे नगर निगम के टाऊन प्रांगण में श्रीजी का अभिषेक पूजन हुआ। उसके बाद प्रातः 7.3॰ बजे टाऊन हॉल से ही 11, 16 और 32 उपवासधारी 115 तपस्वियों की बैण्डबाजों के साथ भव्य शोभा यात्रा निकली जो सूरजपोल, बापू बाजार सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए पुनः टाऊन हॉल पहुंची। उसके बाद 1॰ लक्षण विधान हुआ। टाऊन हॉल प्रांगण में 115 तपस्वियों के पारणे हुए जिनमें समाजजनों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। समारोह का संचालन प्रकाश सिंघवी ने किया।
आचार्यश्री भी शोभा यात्रा के साथ पहुंचे टाउन हॉलः प्रातः हुमड भवन से आचार्यश्री सुनीलसागरजी ससंघ नगर भ्रमण करते हुए गाजेबाजे के साथ टाऊन हॉल पहुँचे। उनके साथ समाज के सैंकडों श्रावक- श्राविकाएं शोभा यात्रा के रूप में नाचते-गाते नगर निगम प्रांगण टाऊन हाल में बने समारोह के पाण्डाल में पहुंचे। समारोह में 1॰ हजार से ज्यादा समाजन उपस्थित थे जिनमें उदयपुर जिला, मेवाड वागड के साथ ही राजस्थान, गुजरात, एमपी, महाराष्ट्र जैसे देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु पहुंचे। सम्पूर्ण कार्यक्रम में विशिष्ट सहयोगियों में सेठ शांतिलाल नागदा, जनक राज सोनी, पारस चित्तौडा, राजेश जैन, सुमतिलाल दुदावत सहित समाजजन रहे।
धर्मसभा में दीप प्रज्वलन हीरालाल मावी एवं जमनालाल हपावत ने किया। पाद प्रक्षालन विजय कुमार जैन ने किया जबकि आरती सुरेश कुमार राज कुमार पदमावत द्वारा की गई उसके बद तपस्वियों का पारणा कराया गया। चित्तौडा महिला मण्डल की ओर से पारणा की व्यवस्था की गई। शोभायात्रा के पुण्यार्जक जैन युवा परिषद के कार्यकर्ता रहे। आवास व्यवस्था के पुण्यार्जक महावीर नागदा महावीर कारवा रहे। भोजन व्यवस्था के पुण्यार्जक राजकुमार जैन, जसवन्त जैन, भूपेन्द्र जैन आदि गुरूभक्त रहे। समारोह के समापन पर सभी ने एक दूसरे से उत्तम क्षमा धर्म का पालन किया।

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