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मधुमती के दीनदयाल विशेषांक का लोकार्पण

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26 Sep 17
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मधुमती के दीनदयाल विशेषांक का लोकार्पण
उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका मधुमती के दीनदयाल विशेषांक का लोकार्पण सोमवार को सेक्टर 4 स्थित साहित्य अकादमी के नवनिर्मित एकात्म सभागार में समारोह पूर्वक किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर बीपी शर्मा ने कहा कि पंडित दीनदयाल अध्याय का एकात्म मानव दर्शन आज के युग में भी प्रासंगिक और उपयोगी है, साथ ही मौजूदा समस्याओं का सटीक समाधान प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि आज पश्चिम एशिया में आतंकवाद एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। ऐसे में हम सब का दायित्व है कि हम देश के लिए चिंतन करें, एकता की बात करें। उन्होंने कहा कि पंडित उपाध्याय का विचार परंपराओं की युगानुकूल व्याख्या प्रस्तुत करता है। इसमें परिवार समाज देश और विश्व को एक सूत्र में बांधने की बात कही गई है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रमुख चिंतक सिद्ध श्रीधर पराडकर ने कहा कि पंडित उपाध्याय का विचार व्यक्ति से पहले राष्ट्र के संवर्धन का था इसीलिए उन्होंने सामाजिक बदलाव की क्रांति का सूत्रपात किया। एक पत्रकार के रूप में पांचजन्य के संपादक रहते हुए उन्होंने अपने संपादकीय टिप्पणी में भी लिखा कि राष्ट्र की दिशा क्या हो और हम सब मिलकर कैसे राष्ट्र को सुध्रढ़ बनाएं। उन्होंने उपाध्याय के विभिन्न संस्मरणो के जरिए उनके जीवन की सादगी को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर जेपी शर्मा ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक विशिष्ट समाज विज्ञानी होने के साथ ही एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे, जिन्होंने पूंजीवाद और साम्यवाद के इतर एकात्म मानववाद की व्याख्या को प्रतिस्थापित किया। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी की इच्छा थी कि योजनाएं बनाते समय देश के हर उस अंतिम व्यक्ति का ध्यान रखा जाए जो आखिरी कतार में हैं। विकास की योजनाएं कुछ लोगों की आकांक्षा पूरी करनी वाली ना बन जाए। प्रोफ़ेसर शर्मा ने पंडित उपाध्याय के उस विचार को प्रमुखता से कहा जिसमे उन्होंने कहा था कि राजनितिक प्रजातंत्र तब तक अधूरा रहेगा जब तक कि आर्थिक प्रजातंत्र की स्थापना ना हो जाए।
इस अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ इंदु शेखर तत्पुरुष ने बताया कि उनकी दिली इच्छा थी कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से जुड़े तमाम विचारों को एक सूत्र में प्रकाशित किया जाए जो आज मूर्त रुप में देख पा रहे हैं। मधुमति के इस विशेषांक को 4 हिस्सों में प्रकाशित किया गया है जो कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से पाठकों के लिए उपलब्ध होगा। इस अवसर पर उन्होंने सत्र 2017-18 के पुरस्कारों एवं सहायता योजनाओं के लिए आवेदन आमंत्रित करने की विज्ञप्ति भी जारी की। इस अवसर पर सिंधी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हरीश राजानी एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री विपिन चंद्र का अभिनंदन किया गया। शुरुआत में अतिथियों का स्वागत साहित्य अकादमी के सचिव डॉ विनीत गोधल ने किया जबकि अंत में धन्यवाद ज्ञापन अकादमी के कोषाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह राव ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ नवीन नंदवाना ने किया। इस से पहले मनस्वी व्यास ने गणेश वंदना और एकात्म गीत प्रस्तुत किया।
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