डॉ. प्रभात कुमार सिंघल -लेखक एवं पत्र्कार, कोटा झालावाड में संतरों से लदे बगीचे, श्रीगंगानगर में किन्नू और माल्टा की महक, हनुमानगढ, श्रीगंगानगर एवं सीकर में लाल अनारों की बहार, सवाईमाधोपुर, उदयपुर, कोटा एवं जयपुर में मीठे अमरूदों का स्वाद, जयपुर, श्रीगंगानगर, भरतपुर एवं जोधपुर के रसीले बैर, अजमेर, जयपुर और हल्दीघाटी में महकते गुलाबों की खुशबू, भीलवाडा, अजमेर, नागौर, जयपुर, कोटा एवं अलवर में विटामिन सी से भरपुर आंवले की पैदावार आज तेजी से विकसित हो रहे राजस्थान में उद्यानिकी विकास की कहानी कह रहे हैं।
मसाला उत्पादन की दृष्टी से राजस्थान देश के अग्रणीय राज्यों में गिना जाने लगा हैं। धनियां, सौंफ एवं लहसुन में हाडौती क्षेत्र् तथा जीरा प८चमी राजस्थान के जिलों की पहचान बन गये है। औषधीय फसलों में ईसबगोल के उत्पादक जिलों में जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, जालोर और बाडमेर ने कदम बढाये हैं। सब्जी उत्पादन में जयपुर, अलवर जोधपुर, अजमेर, भरतपुर, सीकर, नागौर, चित्तौडगढ, टोंक, धोलपुर, बून्दी, कोटा एवं श्रीगंगानगर जिलों का प्रमुख स्थान बन गया है।
उद्यानिकी विकास की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप राजस्थान की धरती पर सन्तरा, किन्नू, नींबू, अनार, अमरूद, बैर, खजूर जैसे रसीले फलों के बगीचे लहलहाने लगे ह। गुलाब, चमेली, गेन्दा, रजनीगंधा, जैसे अनेक फूलों की खुशबू महकने लगी हैं। जीरा, धनियां मिर्च, हल्दी, सौंफ तथा मैथीं जैसे मसालों का उत्पादन होने लगा है। ईसबगोल, गिलोय, सनाय, सफेद मूसली, ग्वारपाठा (एलोविरा), सतावरी, तुलसी, मुलेठी, सर्पगंधा, ब्राह्मी एवं अ८वगंधा जैसी औषधीयों की पैदावार नया ७ागल बन गयी हैं। फल, फूल, मसालें एवं औषधीय खेती को बढावा देने के लिए किसानों को कई प्रकार की सुविधाऐं देने के साथ-साथ राज्य के कृष अनुसंधान केन्द्रों एवं प्रयोगशालाओं में नित नये अनुसंधान किये जा रहे हैं। अनुसंधानों के परीक्षण एवं परिणामों से प्रदेश के किसान अपने खेतों पर तकनीक को ले जाकर अपना उत्पादन बढाने के लिए आगे आये हैं।
यहां के धरती पुत्र् सिंचाई हेतु जल की कमी को देखते हुए सुक्ष्म सिंचाई प्रणाली, बून्द-बून्द सिंचाई प्रणाली, फंव्वारा सिंचाई प्रणाली अपनाने लगे ह। सोलर ऊर्जा सिंचाई प्रणाली से जुडकर का८तकारों को बिजली व डीजल के खर्च से निजात दिला रही है।
देश की आजादी के 67 साल बाद राजस्थान में कृष उत्पादन के साथ-साथ उद्यानिकी विकास का यह परिदृ८य राज्य के लिए किसी गौरव से कम नहीं है। कृष की दृ६ट से राजस्थान विविधता से परिपूर्ण एवं भौगोलिक रूप से देश का सबसे बडा राज्य ह। उद्यानिकी विकास की प्रबल संभावनाओं के रहते यहां कृष से अलग उद्यान निदेशालय स्थापित किया गया हैं। इसके तहत यहां के का८तकार उद्यानिकी विकास के अजब-अनूठे पहलुओं का भरपूर लाभ उठा रहे हं।
राजस्थान सरकार द्वारा 24 से 26 मई तक होने वाले “राजस्थान एग्रीटेक मीट” से जह का८तकारों एवं पशुपालकों को नवीन तकनीक की जानकारी मिलेगी वहीं उन्हें नये अनुसंधानों का परिचय भी प्राप्त होगा। कृष, उद्यानिकी एवं पशुपालन क्षेत्र् में विकास की असीम संभावनाओं का दोहन हो सकेगा। नये प्रकार की खेती की जानकारी भी मिलेगी। इस आयोजन से करोडो रूपये का कृष क्षेत्र् में निवेश होगा जिससे कृष विकास एवं सम्बद्ध सेवाओं का नया मार्ग प्रशस्त होने से युवाओं को रोजगार के साधन भी मिलेंगे।
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