GMCH STORIES

न्यूजीलैंड के साथ नजदीकी रिश्तों की हिमायत

( Read 16588 Times)

02 May 16
Share |
Print This Page
न्यूजीलैंड के साथ नजदीकी रिश्तों की हिमायत ऑकलैंड। भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति के ‘एक्ट ईस्ट’ में समाहित होने के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज न्यूजीलैंड के साथ करीबी रिश्तों की हिमायत की और कहा कि भारत की सामरिक सोच और आर्थिक भागीदारी में क्षेत्र ने अधिक महत्व हासिल किया है। तीन दिन की राजकीय यात्रा पर यहां आए राष्ट्रपति ने प्रशांत क्षेत्र को भारत द्वारा दी जा रही महत्ता की बात करते हुए इसे दक्षिण पूर्व एशिया के हमारे निकटवर्ती पड़ोस का प्राकृतिक विस्तार करार दिया।

स्थानीय दैनिक ‘द न्यूजीलैंड हेराल्ड’ के साथ एक भेंट में प्रणब ने कहा, ‘‘हमारी लुक ईस्ट नीति के एक्ट ईस्ट नीति में समाहित होने के बीच इस क्षेत्र ने हमारी सामरिक सोच और आर्थिक भागीदारी में और भी ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। भारत का ज्यादातर विदेशी व्यापार हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के समुद्री रास्तों से होकर गुजरता है। यह रास्ते हमारी ऊर्जा का बड़ा भाग, चाहे वह तेल हो, गैस अथवा कोयला, हम तक पहुंचाते हैं।’’ न्यूजीलैंड की यात्रा करने वाले भारत के पहले राष्ट्रपति मुखर्जी आज सुबह यहां पहुंचे, जहां अधिकारियों ने उनकी अगवानी की। बाद में गवर्नर जनरल हाउस में उनका रस्मी स्वागत किया गया, जिसमें न्यूजीलैंड के गवर्नर जनरल सर जेरी मातेपारेइ के साथ धीरे से नाक रगड़ने की परंगरागत रस्म शामिल थी।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरा विश्वास है कि यह क्षेत्र व्यापार और निवेश के साथ ही लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने की विशाल क्षमता रखता है। जो हालांकि मुक्त व्यापार संधि पर केंद्रित है और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की के अनुसार उनका देश एफटीए पर आगे बढ़ना चाहता है। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के हवाले से अन्य मीडिया खबरों में कहा गया कि भारतीय राष्ट्रपति का दौरा व्यापार पर बात करने और द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा का अच्छा अवसर है।

की ने कहा, ‘‘जनसांख्यिकी से लिहाज से भारत और चीन काफी समान हैं।’’ लेकिन साथ ही कहा, ‘‘हम चीन के मुकाबले भारत के साथ कम व्यापार करते हैं और भारत में अर्थव्यवस्था के आकार के लिहाज से यह व्यापार काफी कम है इसलिए हम आर्थिक क्षेत्र के संबंधों का विस्तार चाहते हैं।’’ न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने 2011 में देश की विशिष्ट भारत नीति की घोषणा की थी, जिसमें भारत के साथ व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दिया गया था। अखबार ने न्यूजीलैंड के व्यापार अधिकारियों के हवाले से बताया कि भारत को होने वाला निर्यात 2011 के बाद से 90 करोड़ डॉलर से घटकर 63 करोड़ 70 लाख डॉलर पर आ गया। दोनों देश एफटीए पर 10 दौर की बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान हमें क्रिकेट को भी भूलना नहीं चाहिए, जिसे दोनो देशों में खासा पसंद किया जाता है और जो जनता से जनता के स्तर पर एक मजबूत बंधन है।

यह पूछे जाने पर कि उनके राष्ट्रपति काल में भारत में क्या बदलाव आए मुखर्जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह देखा गया जब देश की जनता ने शासन को गठबंधन राजनीति की बाध्यताओं से मुक्त कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो वर्ष की उपलब्धियों में से एक भ्रष्टाचार की समस्या पर काबू पाना भी रहा। इस छोर से सरकार ने पारदर्शिता के साथ और एक खुली प्रक्रिया में कोयला और स्पैक्ट्रम जैसी प्रमुख सार्वजनिक पूंजियों को नीलाम किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह उपलब्धि खास तौर से उल्लेखनीय है क्योंकि यह वैश्विक दुश्वारियों और लगातार दूसरे वर्ष कम वर्षा के बावजूद हासिल की गई।’’ उन्होंने कहा हमारी वृद्धि की क्षमता का पूरा लाभ उठाने के लिए हमें ढांचागत कमियों को दूर करना होगा, श्रमबल की गुणवत्ता सुधारनी होगी और बेहतर स्वास्थ्य मानक सुनिश्चित करने होंगे। सरकार इस पर काम कर रही है और व्यापार करने को सुगम बनाने के साथ ही मेक इन इंडिया जैसी कई पहल की गई हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।

This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines , InternationalNews
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like