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खुशबुओं से इलाज करती है एरोमाथेरेपी

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13 Nov 15
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ऐरोमाथेरेपी आपको सुई और कड़वी दवाइयों के झंझट से निजात दिला सकती है। ऐरोमा का अर्थ है खुशबू तथा थेरेपी से अभिप्राय उपचार से है। ऐरोमाथेरेपी उपचार की वह पद्धति है जिसमें खुशबू के द्वारा अनेक बीमारियों का निदान संभव है।

ऐरोमाथेरेपी जड़ी−बूटियों व पौधों की उपचार पद्धति है। इसमें रोगों के निदान के लिए पौधों के तनों, जड़ों, फूलों, पत्तों आदि से निकाले गए अर्क जिसे ऐसेन्शियल आयल कहते हैं का प्रयोग किया जाता है। सभी प्रकार की त्वचा और बालों में प्रयोग हो सकने वाले ये तेल बिल्कुल चिपचिपे नहीं होते।

ऐसेन्शियल आयल्स का प्रयोग व्यवसायों में भी होता है। लगभग तीन सौ किस्म के ऐसेन्शियल आयल्स को त्वचा संबंधी या अन्य उत्पाद बनाने वाले उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है। घर पर ही छोटी मोटी बीमारियों के निदान के लिए दस−पन्द्रह प्रकार के तेल ही मुख्य होते हैं। प्रत्येक ऐसिन्शियल आयल की खुशबू का अहसास ही इलाज होता है। प्रत्येक खुशबू से सीधे हमारा मस्तिष्क प्रभावित होता है, हर तेल में एक विशेष प्रकार की उपचारिक शक्ति होती है, जिसके द्वारा पूर्ण रूप से पवित्र व प्राकृतिक उपचार होता है।

घर में प्रयोग किए जा सकने वाले तेल विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किए जा सकते हैं जैसे मालिश में, नहाने के पानी में या भाप के पानी में आदि। शरीर से दूषित पदार्थों के निष्कासन में ये तेल बहुत उपयोगी होते हैं जैसे एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टिरयिल, एंटीफंगस, एंटी न्यूरालाजिक, एंटी डिपरेसेन्ट, रक्टी, रूमेटिक, डियोडराइजिंग आदि।

ऐसेन्शियल आयल को भाप विधि के द्वारा निकाला जाता है। जैसे लैवे.डर के लगभग एक सौ किलो पौधे से लगभग तीन किलो तेल प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार लगभग साठ हजार गुलाब के फूलों से प्राप्त तेल लगभग एक आऊंस होगा। इन ऐसेन्शियल तेलों का प्रयोग सदैव बेस आयल के साथ मिलाकर किया जाता है, विभिन्न प्रकार के तेलों को बेस आयल के रूप में लिया जा सकता है जैसे वेजीटेबल आयल, ऐप्रीकाट आयल मीठा बादाम तेल आदि। ऐसोन्शियल आयल की मात्रा के अनुसार बेस आयल की मात्रा भी बदलती रहती है। जैसे 1 बूंद ऐसेन्शियन आयल में एक मिली बेस आयल, चार से दस बूंद में दस मिली बेस आयल और छह से पन्द्रह बूंद में पन्द्रह मिली बेस आयल का प्रयोग किया जाता है।

मालिश और ऐरोमाथेरेपी में घनिष्ठ संबंध है। त्वचा द्वारा ऐसेन्शियल आयल के शीघ्र अवशोषण हेतु मसाज बहुत जरूरी है चूंकि एक्यूप्रेशर व रिफ्लेक्सीलॉजी का भी ऐरोमाथेरेपी से संबंध है, इसलिए मालिश करते समय बिन्दुओं के महत्व को नकारा नहीं जा सकता।

हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में अनेक ऐसी छोटी−छोटी बीमारियां होती हैं, जिनके समाधान के लिए ऐरोमाथेरेपी उपयोगी साबित हो सकती है। जैसे− पेट के ऊपरी भाग में दर्द की स्थिति में तीन बूंदें पिपरमेन्ट आयल, दो बूंदें क्लोव आयल तथा एक बूंद यूकेलिप्टस आयल के मिश्रण में एक चम्मच वेजीटेबल आयल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।

दर्द यदि पेट के निचले हिस्से में हो तो दो बूंद जिरेनियम आयल, दो बूंद रोजमेरी आयल व एक बूंद जिंजर आयल में एक चम्मच वेजीटेबल आयल डालकर दर्द वाले भाग पर हल्के हाथ की मालिश की जा सकती है।

गर्मियों में नकसीर फूटना या नाक से खून आना एक आम समस्या है। इसके लिए पीठ के बल सीधे लेट जाएं और एक टिशु पेपर पर एक बूंद साइप्रस आयल, एक बूंद लेवेन्डर आयल, दो बूंद लेमन आयल व एक बूंद रोज आयल डालकर सूंघने से राहत मिलेगी। छोटे−मोटे साधारण घाव व फोड़े फुन्सियों के उपचार के लिए दो बूंद लैवेन्डर आयल, एक बूंद कैमोमाइल आयल व एक बूंद टी ट्री आयल के मिश्रण को एक कप गुनगने पानी में मिला कर दिन में दो बार घाव को धोएं। घाव या फुन्सी को धूल−मिट्टी से जरूर बचाएं।

गुदा का फिशर होने पर दो लीटर गुनगुने पानी में पांच बूंदें लेवेण्डर, दो बूंदें जिरोनियम व दो बूंदें लेमन आयल डालकर गुदा वाले भाग को धोएं। उसके बाद ये सभी ऐसेन्शियल आयल ऐलीवीराजेल में मिलाकर प्रभावित भाग के चारों ओर मालिश करें।

घर में भारी सामान उठाते समय, नृत्य या व्यायाम करते समय हाथ या पैरों की मांसपेशियां खिंच जाने से हाथ या पैर में मोच आ सकती है। ऐसी स्थिति में किसी भी बेस आयल की तीस मि0ग्रा0 मात्रा लेकर उसमें पांच बूंद ब्लैक पेपर आयल, पन्द्रह बूंद यूकेलिप्टस आयल, पांच बूंद जिंजर आयल व नट मेग आयल मिलाकर दिन में तीन बार मालिश करें। साथ ही ठंडी मसाज भी फायदेमंद होगी।

रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं के स्वभाव में परिवर्तन हो जाना एक आम समस्या है। वास्तव में रजोनिवृत्ति के समय रक्त नलिकाओं में अनियमितता आ जाने के कारण या तेज गर्मी की वजह से अक्सर महिलाएं चिड़चिड़ी व बैचेन हो जाती हैं। 30 मिलीग्राम बेस आयल में छरू बूंद लेमन आयल, दस बूंद क्लैरी सेज आयल, 9 बूंद जिरेनियम आयल व पांच बूंदें इवनिंग प्राइमरोज आयल मिलाएं व सम्पूर्ण शरीर की मालिश करें। नहाने के पानी में भी इस मिश्रण का प्रयोग करें। ऐसे वक्त में चाय, काफी व अन्य गर्म पेय पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए।

आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में नीद न आना भी एक आम समस्या है। इसके कारण शारीरिक या मानसिक दोनों हो सकते हैं। शरीर की मालिश या नहाने के पानी में कुछ तेलों के प्रयोग से यह समस्या दूर हो सकती है। तीस मिलीग्राम बेस आयल में पांच बूंद कैमोमाइल आयल, पांच बूंद मेजोरम आयल, पन्द्रह बूंद सैण्डल वुड आयल तथा पांच बूंद क्लैरीसेज आयल मिलाकर मालिश करने से आराम मिलता है। मालिश करते समय ध्यान दें कि मालिश पूरी पीठ, गले तथा कंधों आदि पर अच्छी तरह करें। नहाने के पानी में इस मिश्रण का प्रयोग करते समय जांच लें कि नहाने के पानी का तापमान साधारण हो न ही गर्म और न ही ठंडा।

चूंकि प्रत्येक व्यक्ति न केवल मानसिक अपितु शारीरिक क्षमता में भी दूसरों से भिन्न होता है इसलिए जरूरी है कि उपरोक्त किसी भी चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करने से पूर्व अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
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