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झालावाड़ में पहली बार दिखा दुर्लभ मलार्ड

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20 Jan 18
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झालावाड़ में पहली बार दिखा दुर्लभ मलार्ड
झालावाड, झालावाड़ के जलाशय पक्षियों की महत्वपूर्ण आश्रय स्थली बन कर देश दुनिया में जिस तेजी से उभर रहा है उससे आने समय में निश्च्ति तौर पर जिले को इको ट्यूरिज़म और बर्डिंग डेस्टीनेशन के रूप में इसे विकसित किया जा सकता है । राजस्थान का चेरापूंजी कहे जाने इस जिले की खासीयत यहां के विभिन्न स्थानों पर फैले जलाशय एंव नदियां हैं ।
जिस प्रकार से विगत कुछ वर्षों में जिले में पक्षी संरक्षण एवं जागरूकता को लेकर जो प्रयास किए गए हैं वह अब साकार होते नज़र आ रहें हैं । पक्षी विशेषज्ञ अनिल रोजर्स ने बताया की शनिवार को मुकंदरा हिल्स टाईगर रिर्जंव के गागरोन रेंज के नौलाव तालाब पर पक्षी गणना की गई इस दौरान उन्हेें दुर्लभ मलार्ड बतख नज़र आए उन्हंे तीन नर और दो मादा पक्षी नज़र आए ।
नर होता है बेहद खूबसूरत: इस पक्षी का नर अंत्यतं खूबसूरत पक्षी होता है जिसमें इनका सर गहरे हरे रंग का होता है और चैंच पीली होती है वहीं मादा भूरे रंग की होती है सूर्य की किरणें इस पर पड़ने से रिफ्लेक्शन के कारण इसका सर नीला प्रतीत होता है इसलिए हिंदी में नीलसर बतख भी कहा जाता है। इसके साथ ही प्रवासी पक्षियों में 15 से ज्यादा रेड क्रेस्टेड पाॅचार्ड करीब 70 से 80 की संख्या में ग्रे लेग गूज़, 50 से ज्यादा गेडवाल, अलग-अलग संख्या में काॅमन टील, एंव स्थानीय पक्षियांे में क्नोब बिल डक, लेसर विस्लिंग टील, काॅटन पिग्मी गूज़ सहित लगभग 50 तरह की प्रजातियों के 1200 पक्षियों को रिकार्ड किया ।
जिला कलेक्टर डाॅ. जितेन्दª कुमार सोनी ने भी इस अद्भुद नज़ारे को अपने कैमरे में कैद किया । इस दौरान डी.सी.एफ राम चंदª सिंह ओगरा, वाईल्ड लाइफ फोटोग्राफर एंव एडवेंचर ट्युरिज़्म सोसाइटी सी.आर.एफ के बनवारी यदुवंशी एवं वन विभाग झालावाड़ के कर्मचारी मौज़ूद थे ।

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