GMCH STORIES

साहित्य मनुष्य को संवेदनशील एवं सकि्रय बनाता है - प्रो. नवलकिशोर

( Read 20728 Times)

19 Oct 16
Share |
Print This Page
  साहित्य मनुष्य को संवेदनशील एवं सकि्रय बनाता है - प्रो. नवलकिशोर उदयपुर साहित्य मनुष्य को संवेदनशील बनाने के साथ साथ उसे स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए प्रेरित भी करता हैं जो कि आधुनिक विज्ञान की सहुलियेते नहीं करती। आज का युवा तकनीकी प्रसार की वजह से आभासी दुनिया में जी रहा है। उसे याथर्थ से रूबरू होने के लिए ओर संवेदनशील बनने के लिए साहित्य पढने की ओर प्रवृत्त होना चाहिए। उक्त विचार जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा बनास जन पत्रिका के अंक संवाद नवल किशोर तथा फिर से मीरा चर्चा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. नवल किशोर शर्मा ने व्यक्त किए।

विशिष्ठ अतिथि आलोचक व वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सत्यनारायण व्यास ने कहा कि प्रो. नवल किशोर मानव समाज के प्रति प्रतिबद्ध हैं उन्होने कहा कि प्रगतिशील होने के लिए कम्युनिष्ट होना आवश्यक नहीं है। साहित्य की अपनी स्वायत्ता है जो समाज सापेक्ष है। वरिष्ठ साहित्यकार तथा सुखाडिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. माधव हाडा ने कहा कि सातवा व आठवा दशक विचारधारा के कोलाहाल का समय था। उन्होने मीरा को नये रूप में समझने की बात करते हुए कहा कि मनुष्य को हमें समग्रता से समझना चाहिए। वह कई रूपों में हमारे सामने प्रस्तुत हो सकता है। विभागाध्यक्ष प्रो.मलय पानेरी ने प्रो. माधव हाडा की पुस्तक पच रंग चोला पहर सखी री पर विस्तार से बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सुमन पामेचा ने की। धन्यवाद डॉ. राजेश शर्मा ने दिया। संचालन डॉ. ममता पानेरी ने किया। इस अवसर पर प्रो. हेमेन्द्र चण्डालिया, प्रो. एस.के. मिश्रा, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. महेजबीन सादडीवाला,डॉ. पारस जैन सहित विभागाध्यक्ष उपस्थित थें

Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines , Udaipur News , Education News , Rajasthan
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like