उदयपुर भारत की ५० प्रतिशत से अधिक की आबादी २५ वर्ष से कम उम्र वालो की है विश्व में आज भारत सबसे युवा देश है देश की बागडोर युवाओं के हाथ में है छात्र रोजगार के साथ साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी समझे जो उन्होने शिक्षा के माध्यम से प्राप्त किया उसे समाज तथा देश की बेहतरी में लगाये। उक्त विचार भारत सरकार के विधि आयोग के सदस्य प्रो. मूल चंद शर्मा मंगलवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक विधि महाविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कही। उन्होने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि उच्च शिक्षा के साथ साथ शोध कार्यो में भी अपनी महत्वूपर्ण भूमिका निर्वाहन करें। उन्होंने कहा कि आज देश में राजस्थान विद्यापीठ जेसी संस्थाओं की बहुत आवश्यकता है जो समाज के हर क्षेत्र में अपना कार्य कर सके। प्रौढ शिक्षा के साथ साथ गांव गांव में सतत शिक्षा महिला एवं बाल शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण शिक्षा पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। विद्यापीठ ने इस क्षेत्र में अभुतपूर्व कार्य किया है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षा का सम्बंध बालक के जन्म से पूर्व से लेकर उसके पूर्ण विकसित नागरिक बनने तक निरंतर रहता है। शिक्षा ज्ञान संग्रह के साथ राष्ट्रीय चिंता धारा से संयुक्त समाजोपयोगी भी होनी चाहिए। यह आत्म ज्ञान से ही संभव है। सिर्फ पुस्तीय ज्ञान की आवश्यकता नहीं है अपितु व्यवहारिक ज्ञान भी आवश्यक है। वैश्विकरण और बाजारवाद के इस दोर में ज्ञान विज्ञान और अपने आदर्शो केा ध्यान में रखते हुए राष्ट्र तथा समाज की सेवा में आगे आये। प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. कला मुणेत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विधि महाविद्यालय की में संचालित गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रो. आरपी नारायणीवाल, महीपाल शर्मा सहित छात्र छात्राए उपस्थित थे।
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