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नोटबंदी के बाद बैंकों में संदिग्ध लेनदेन बढ़े

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21 Apr 18
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नोटबंदी के बाद देश के बैंकों को सबसे अधिक मात्रा में जाली नोट मिले। इस दौरान संदिग्ध लेनदेन में भी 480 फीसद से भी अधिक का इजाफा हुआ। वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद संदिग्ध जमाओं पर आई पहली रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अलावा सहकारी बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों में सामूहिक रूप से 400 फीसद अधिक संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट किए गए। इस लिहाज से 2016- 17 में कुल मिलाकर 4.73 लाख से भी अधिक संदिग्ध लेनदेन की सूचनाएं प्रेषित की गईं। वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) के अनुसार बैंकिंग और अन्य आर्थिक चैनलों में वर्ष 2016-17 में जाली मुद्रा लेनदेन के मामलों में इससे पिछले साल की तुलना में 3.22 लाख का इजाफा हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आठ नवम्बर, 2016 को 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने की घोषणा से जुड़ा है।इसमें कहा गया है कि जाली मुद्रा रिपोर्ट (सीसीआर) की संख्या 2015-16 के 4.10 लाख से बढ़कर 2016-17 में 7.33 लाख पर पहुंच गई। यह सीसीआर का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।सीसीआर ‘‘लेनदेन आधारित रिपोर्ट’ होती है और यह तभी सामने आती है जबकि जाली नोट का पता चलता है। उल्लेखनीय है कि एफआईयू के मनी लांडिं्रग नियमों के अनुसार बैंकों और अन्य वित्तीय निकायों को उन सभी नकद लेनदेन की सूचना देनी होती है जिनमें जाली करेंसी नोटों का इस्तेमाल असली नोट के रूप में किया गया हो या फिर मूल्यवान प्रतिभूति या दस्तावेज के साथ धोखाधड़ी की गई हो।
वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद संदिग्ध जमाओं पर आई रिपोर्ट में हुआ खुलासादइस दौरान संदिग्ध लेनदेन के मामलों में दर्ज हुई रिकार्ड 400 फीसद की वृद्धिदवर्ष 2016-17 में जाली मुद्रा लेनदेन के मामलों में 3.22 लाख का हुआ इजाफा
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