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सरकारी बैंकों के Rs1.14 लाख करोड़ डूबे

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09 Feb 16
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सरकारी बैंकों के Rs1.14 लाख करोड़ डूबे नई दिल्ली । अपने बहीखातों को दुरुस्त करने के प्रयास स्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों ने वित्त वर्ष 2012-15 के दौरान 1.14 लाख करोड़ रपए के फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डाला। बैंकों ने 2014-15 में जो राशि बट्टे खाते में डाली, वह इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 53 फीसद अधिक थी। उधर जदयू ने कहा है कि सरकार उन कारोबारी घरानों का नाम बताए जिन्हें कर्ज से छूट दी गई।रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान बैंकों ने 52,542 करोड़ रपए बट्टे खाते में डाले जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की तुलना में 52.6 फीसद अधिक है। मार्च 2015 में गैर निष्पादित परिसंपत्ति या फंसा कर्ज बढ़कर 2,67,065 करोड़ रपए हो गया। 2014-15 में बैंकों ने कुल एनपीए का पाचवां हिस्सा बट्टे खाते में डाला। सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों ने 2013-14 में 34,409 करोड़ रपए बट्टे खाते में डाले जबकि 2012-13 में यह राशि 27,231 करोड़ रपए थी। कुल मिलाकर पिछले तीन वित्त वषों के दौरान 1.14 लाख करोड़ रपए बट्टे खाते में डाले गए। वित्त वर्ष 2014-15 में इस मामले में एसबीआई पहले स्थान पर रहा। उसने 21,313 करोड़ रपये बट्टे खाते में डाले। उसके बाद पंजाब नेशनल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक का स्थान जिन्होंने क्र मश: 6,587 करोड़ रपए तथा 3,131 करोड़ रपए बट्टे खाते में डाले। इसके अलावा, इलाहबाद बैंक ने 2109 करोड़ रपए सेंट्रल बैंक आफ इंडिया ने 1995 करोड़ रपए, आईडीबीआई बैंक ने 1609 करोड़ रपए, बैंक आफ बड़ौदा ने 1564 करोड़ रपए, सिंडिकेट बैंक ने 1527 करोड़ रपए, केनरा बैंक ने 1472 करोड़ रपए तथा यूको बैंक ने 1401 करोड़ रपए बट्टे खाते में डाले।उधर जेडीयू ने 2012 और 2015 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक द्वारा 1.14 लाख करोड़ रपए के फंसे हुए कर्ज पर तीखी प्रतिक्रि या व्यक्त करते हुए सरकार से उन कारोबारी घरानों का नाम बताने को कहा जिसके फंसे हुए कर्ज को माफ किया गया।
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