उदयपुर , राम कथा भक्ति का मार्ग बताती है तथा कृष्ण कथा मुक्ति का मार्ग दिखाती है। प्रार4ध के कर्म का फल एवं प्रभु की कृपा से ही हमें सत्संग प्राप्त होता है राम कथा भक्ति का मार्ग बताती है तथा कृष्ण कथा मुक्ति का मार्ग दिखाती है। प्रार4ध के कर्म का फल एवं प्रभु की कृपा से ही हमें सत्संग प्राप्त होता है। हमे। हमेशा सद्मार्ग में चलें। यह बात गुरुवार को नारायण सेवा संस्थान की ओर से दिव्यांगों की निःशुल्क चिकित्सा के लिए चापा (छ8ाीसगढ) में आयोजित ‘‘श्री राम कथा’’ के चौथे दिन कथा वाचिक प्राची देवी ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन आदर्शों से भरा पडा हुआ है। माता-पिता के कहने पर उन्होंने १४ साल का वनवास हंसते-हंसते काटा। हमें भी अपने जीवन में माता-पिता आदर करते हुए उनका स6मान करना चाहिए। सत्संग के लिए किसी आयु की जरूरत नहीं पडती, किसी भी अवस्था में बुढापा या मृत्यु आ सकती है। इसलिए अवसर मिलने पर सत्संग का लाभ उठाना चाहिए। सूर्य का उदय होता है तो अस्त भी होता है। इसी प्रकार जीवन में सुख-दुख दोनों आते हैं। हमें दोनों अवसरों पर भगवान के सानिध्य में रहना चाहिए। सांसारिक जीवन में रहते हुए यदि हमें सुख शांति चाहिए तो प्रतिदिन कुछ समय पूजा पाठ के लिए निकालना चाहिए। संचालन कुंज बिहारी मिश्रा ने किया।
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