वीतराग सूत्र पढने से खुलेगी अतंरात्मा की आंखें
( Read 6982 Times)
26 Jul 17
Print This Page
उदयपुर । वासुपूज्य स्थित दादावाडी में साध्वी नीलांजना श्रीजी ने कहा कि व्यक्ति एक बार मिठाई का त्याग कर सकता है लेकिन पानी का नही, पानी उतना ही आवश्यक है जितनी ऑक्सीजन।
साध्वीश्री ने कहा कि हेमचंद्राचार्य सूरीश्वर भगवंत ने वीतराग सूत्र में परमात्मा की जो स्तुति की है, वो अपरम्पार है। उसे पढने से अंतरात्मा की अंाख्ो खुल जाएगी। चिंतामणि और पारसमणि इन सबके सामने गौण है। ऐसी परमात्मा की वाणी सुनने को मन करता है।
उन्हने कहा कि हे परमात्मा, आप पुष्करावर्त मेघ की तरह हो जो अमृत बरसाता है। बारिश कभी अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि की तरह है। दोनों ही स्थिति में नुकसान ही है। सिर्फ १८५०० वर्ष रह गए हैं। उस हाल में सब कुछ नष्ट हो जाएगा सिर्फ पाप और पाप रहेगा। तीर्थंकर अकेले कुछ नही कर सकते। उन्हें भी योग्य साधु साध्वियों की जरूरत होती है तब स्थापना होती है। गणधर भगवंत परमात्मा से प्रश्न करते हैं कि तत्व क्या है, तब वो त्रिपदी कहते हैं। इसी त्रिपदी पर जैन दर्शन की नींव पडी है। १२ आगम हैं जिनके नाम हमें याद होने ही चाहिए। सभी पढने की कोशिश करें। साधु साध्वी श्रावक और श्राविका से मिलकर यह चतुर्विद संघ बना है। परमात्मा संघ से प्रार्थना करते हैं। समवशरण में विराजित होने से पहले भगवान चतुर्विद संघ को प्रणाम करते हैं।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Udaipur News