उदयपुर, आदिनाथ भवन सेक्टर 11 आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में आचार्यश्री विमद सागरजी महाराज ने कहा कि जो दुनिया में आया है उसका एक दिन दुनिया से जाना सुनिश्चित है। जो बना है उसका नष्ट होना तय है। दुनिया में कोई भी अजर-अमर नहीं है। जो हमने यहां पाया है वो यहीं पर छोड कर जाना है। जब ऐसा ही है तो फिर भय किस बात का है। मौत का क्या है वो तो एक ना एक दिन आनी ही है। चाहे कितने ही बडे- बडे डॉक्टर के पास चले जाएं, लाखों करोडों रूपए खर्च कर दिये जाएं लेकिन जो समय निश्चित है उस समय इस दुनिया को छोड कर जाना ही है। इन सारी उधेडबुन के बीच सिर्फ एक ही बात महत्वपूर्ण है कि हम मरने के बाद जाएंगे कहां, किस गति में जाएंगे, हमारी सद्गति होगी या दुर्गति।
आचार्यश्री ने कहा कि हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल मिलेगा। अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा और हम सद्गति को प्राप्त होंगे और कर्म बुरे होंगे तो दुर्गति होना निश्चित है। अपने आपको जांचने परखने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप रात को सोने से पहले एक बार आप अपने दिनभर के क्रिया कलापों को अपने दीमाग में लाएं और सोचें कि आपसे आज कौनसा काम अच्छा हुआ और कौनसा काम गलत हो गया। आफ हाथ से किसका भला हुआ और किसका बुरा हो गया। अगर किसी का बुरा अगर आपसे हो भी गया हो तो दूसरे दिन उस व्यक्ति से माफी मांग कर प्रायश्चित करने में कोई बुराई नहीं है।
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