GMCH STORIES

ज्वार पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की ४६ वीं वार्षिक बैठक प्रारम्भ

( Read 10590 Times)

25 Apr 16
Share |
Print This Page
ज्वार पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की ४६ वीं वार्षिक बैठक प्रारम्भ उदयपुर. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के भारतीय लघु अनाज (कदन्न, मिलेट्स) अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान कृषि महाविद्यालय परिसर में ज्वार पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (आईसीएआर) पर ४६ वीं वार्षिक बैठक व कार्यशाला का शुभारम्भ प्रसार शिक्षा निदेशालय में प्रथम तकनीकि सत्र के साथ हुआ।

आयोजन सचिव डॉ. बी. आर रणवा ने बताया कि इस वार्षिक बैठक व कार्यशाला में देश भर के १३० वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। ज्वार पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (आईसीएआर) पर ४६ वीं वार्षिक बैठक व कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन मंगलवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के मुख्य सभागार मे प्रातः ९.३० पर आयोजित किया जाएगा।

भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेषक डॉ. वी. ए. तोनापी ने बताया कि उद्घाटन सत्र में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के डॉ. आई. एस. सोलंकी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. उमा शंकर शर्मा करेंगे। इस अवसर पर भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के प्रमुख वैज्ञानिक, अनुसंधान परियोजना से जुडे देष के विभिन्न केंद्रों व विष्वविद्यालयों के वैज्ञानिक व अनुसंधानकर्ता भाग लें रहें।

डॉ. जी. एस. आमेटा ने पहले चार तकनीकि सत्रों की अध्यक्षता करते हुए बताया कि अनाजों में ज्वार, एक प्रमुख अनाज सह-चारा फसल के रूप में भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चारा फसलें भारत की अर्थव्यवस्था के लिए और विषेश रूप से राजस्थान में पषुओं के लिए प्रमुख पौशक तत्व प्रदान करने के रूप में महत्वपूर्ण फसल है। जनसंख्या और आर्थिक विकास में वृद्धि के साथ-साथ, मानव आहार में पषु उत्पादों जैसे दूध, मांस और अंडे की मांग में वृद्धि होना बाध्यकारी हो गया। मवेषी और भैंस की गुणवत्ता में सुधार उनके फीड और चारा की पर्याप्त आपूर्ति पर निर्भर करता हैं। भारत में कुल पषु जनसंख्या ७१६७६२८ है। राजस्थान में यह ५४०४९३ है। ज्वार हरे चारे के रूप में दुधारू, मांस उत्पादित व भारवाही जानवरों के लिए सबसे सस्ते स्त्रोतों में से एक है। कार्यशाला के पहले दिन परियोजना के सभी अनुसंधान केन्द्रों की समीक्षा बैठक हुई, जिसमें आकोला, कोयम्बटूर, दीषा, इन्दौर, कोविलापट्टी, पालेम, लुधियाना सहित २१ केन्द्रों के प्रभारियों ने अपने अनुसंधान कार्यो की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।

कार्यशाला के अपरान्ह के तकनीकि सत्र की अध्यक्षता क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. एस के शर्मा ने की। डॉ. शर्मा ने बताया कि एमपीयूएटी कार्यक्षेत्र मे ६४,२९७ टन उत्पादन के साथ ५७,७८३ हेक्टेयर क्षेत्र मे उगाई जाती है। ज्वार पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत ज्वार के फसल उन्नयन, उत्पादकता बढाने व नई प्रजातियों के विकास पर उल्लेखनीय कार्य हुआ है। इस तकनिकी सत्र में ज्वार के बौद्धिक संपदा अधिकार मूल्य (आईपीआर इष्यू), मूल्य संवर्विधत उत्पाद एवं अर्न्तराश्ट्रीय सहयोग इत्यादि मुददों पर चर्चा हुई।
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines , Health Plus
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like