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फल तथा सब्जी उत्पादन पर कार्यशाला संपन्न

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18 Apr 15
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फल तथा सब्जी उत्पादन पर कार्यशाला संपन्न उदयपुर, जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती नेहा गिरि ने कहा है कि अच्छी सेहत व शुद्ध वातावरण की दृष्टि से किसान व आमजन आर्गेनिक फार्मिंग की तकनीक को अपनावें।


श्रीमती गिरि शनिवार को आर्गेनिक फॉर्मिंग व अरबन एरिया में कम लागत में सब्जी व फल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिला परिषद सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि जिला परिषद व जिला प्रशासन के सहयोग से हरित धारा योजना के तहत फल एवं सब्जी उत्पादन के ज़रिये लगभग पांच हजार किसानों को फायदा हुआ है। भविष्य में प्रशासन इस तकनीक द्वारा न केवल किसानों बल्कि आमजन को भी प्रेरित करेगा ताकि वे कम लागत व समय में उगाई गई सब्जी व फलों द्वारा मुनाफा व सेहत दोनों कमा सकें।
उन्होंने बताया कि उदयपुर जिले की यह पहल अन्य जिलों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी एवं भविष्य में राजस्थान जैसे प्रदेश का कायाकल्प हो जाएगा। ऑर्गेनिक फार्मिंग में रसायन एवं फर्टिलाइज़र्स का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता है। इस तकनीक द्वारा उत्पादित सब्जियों से किडनी, हार्ट व अन्य कई तरह की बीमारियों से बचाव संभव है।
सरकारी संस्थाओं में होगी खरीद:
उन्होंने कहा कि यदि किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग करते है तो उनके द्वारा उत्पादित फल एवं सब्जी मिड-डे-मिल स्कीम के तहत सप्ताह में दो बार खरीदी जा सकती है तथा राजकीय संस्थाओं व जेल, अस्पतालों, छात्रावासों, स्थानीय हाट एवं मण्डी आदि में बेची जा सकती हैं। इसी प्रकार कृषि उपज मण्डी की पिकअप वैन द्वारा किसानों से सब्जियां एकत्र कर शहर में बेची जायेंगी तथा शहरवासियों को ताज़ी एवं हरी सब्जियां खाने को मिल सकेगी।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य आयोजना अधिकारी सुधीर दवे ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अरबन एरिया में रहने वाले लोगों को जिनके पास ज़मीन की उपलब्धता कम हो अथवा फ्लेटों में रहने वाले लोग अपनी बालकनी, छत व टेरेस आदि पर आसानी से पॉलीबैग्ज़, गमलों, हैगिंग पॉट्स, बास्केट आदि में सब्जियां व फल उत्पादन कर समय व पैसे की बचत कर सकते हैं। गृहणियां आसानी से इस कार्य को कम समय में कर सकती है व अपने परिवार को अच्छी सेहत दे सकती है। उन्होंने बताया कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने ऑर्गेनिक फार्मिंग एवं हरित धारा योजना के तहत सब्जी उत्पादन का स्वयं मुआयना किया एवं इसकी प्रशंसा की।
कार्यशाला में नरेगा की अधिशासी अभियंता प्रज्ञा सक्सेना ने बताया कि हरित धारा योजना के तहत उन्नत कृषि बीज, सब्जी मिनीकिट राष्ट्रीय बीज निगम से प्राप्त कर किसानों को वितरित किये गए जिसमें छः तरह की सब्जी के बीज बैंगन, टमाटर, मिर्ची, भिण्डी, तोरी, लौकी आदि थे। उन्होंने बताया कि इससे किसानों के सब्जी उत्पादन में बढ़ोतरी हुई एवं मुनाफे का प्रतिशत भी बढ़ा।
इस दौरान सेवा मंदिर व एफईएस (फाउण्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी, इण्डिया) के अधिकारियों ने बताया कि उनके प्रयासों से झाड़ोल, गोगुन्दा, कोटड़ा जैसे क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में किसानों ने बैंगन व टमाटर की खेती कर लाभ कमाया। एफईएस के गिरधारी लाल वर्मा ने बताया कि जिला परिषद एवं आमजन के सहयोग से पानी व अन्य साधनों को बचाने के लिए झाड़ोल व गोगुन्दा के कई इलाकों में जागरूकता कार्यक्रम, रैली, चारागाह विकास कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
कार्यशाला में राजकीय माध्यमिक विद्यालय, गोरेला, गिर्वा के हेडमास्टर ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने शिक्षकों एवं छात्रों के सहयोग से अपने विद्यालय का कायापलट कर दिया। एक्शन उदयपुर कार्यक्रम के तहत छात्रों को जागरूक कर स्कूल का सौंदर्यीकरण किया। उन्होंने विद्यालय में मेथी, पालक, धनिया, आलू की खेती कर ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दिया एवं छात्रों को न्यूट्रीशन से भरपूर सब्जियां खाने के महत्व समझाएं। आज यह विद्यालय आस-पास के इलाके का प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
कोकोपीट तकनीक की दी जानकारी:
इस कार्यशाला में नारियल बुरादे (कोकोपीट) का उपयोग कर पॉट, छत, बालकनी, पोर्च एरिया व वीरान इलाकों में भी सब्जी व फल उत्पादन किये जाने की पूरी प्रक्रिया को वीडियो के माध्यम से समझाया गया। कोकोपीट द्वारा टिन, पॉलीबैग्ज़, अनुपयोगी सूटकेस, सीमेन्ट बैग्ज़ में नारियल बुरादा डालकर कम जगह में सब्जी उत्पादन किया जा सकता है। यह तकनीक विदेशों में पहले ही अपनाई जा चुकी है एवं अब भारत में भी धीरे धीरे प्रसिद्ध हो रही है। उदयपुर में प्रशासन ने इसके महत्व को समझकर यह कार्यशाला आयोजित की ताकि बैंक, प्राइवेट स्कूल, एनजीओे, प्राइवेट कॉलेज, मॉल, रोटरी व लॉयन्स क्लब जैसी संस्थाऐं, मीडिया व अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों को इससे जोड़ा जा सके एवं इसकी उपयोगिता को आमजन तक पहुंचाया जा सके। कार्यशाला में बताया गया कि इस तकनीक द्वारा घर पर ही ना सिर्फ सब्जियां व फल बल्कि बेमौसम सब्जियां, हर्बस्, स्ट्रॉबेरी जैसे महंगे बिकने वाले फल भी उगाये जा सकते है। कोकोपीट में पानी की कम मात्रा उपयोग होती है तथा मिट्टी की तरह कीडे़-मकोड़े आदि लगने का खतरा भी नहीं रहता। किसानों को इस तकनीक द्वारा रसायन एवं फर्टिलाइज़र्स युक्त सब्जियां उगाने व बेचने से छुटकारा मिलेगा तथा इस तकनीक से खेत में की जाने वाली पारम्परिक खेती के मुकाबले अधिक उत्पादन किया जा सकता है क्योकि इसमें एक भी बीज बेकार नहीं जाता एवं छोटा किसान भी कम क्षेत्र में खुदाई, बुवाई एवं अधिक श्रम के बिना इसका उत्पादन कर सकता है। आने वाले समय में गर्मी के मौसम में यह तकनीक बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।
कार्यशाला के अंत में हॉर्टिकल्चर के उपनिदेशक डॉ.रविन्द्र वर्मा ने पॉलीबैग्ज़ द्वारा सब्जी उत्पादन पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि आमजन घर पर ही दस-बीस बैग रखकर साल भर तक स्वयं के परिवार के लिए सब्जी उत्पादित कर सकते हैं। हाइब्रिड बीजों द्वारा कम लागत में कई प्रकार की सब्जियां कम समय में उत्पादित की जा सकती है। उन्होंने बताया कि मोयला और कीटों को रोकने के लिए नीम ऑयल का स्प्रे किया जा सकता है जो कि घरों में भी वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचायेगा। इस कार्यशाला में उपस्थित लोगों ने नई तकनीक की जानकारी ली व उत्साहपूर्वक जिला प्रशासन की इस नई पहल का स्वागत किया।
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