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ओबीसी आरक्षण केस में राज्य सरकार की एसएलपी पर बहस पूरी, फैसला बाद में

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14 Nov 17
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जयपुर | सुप्रीमकोर्ट में सोमवार को गुर्जर सहित पांच जातियों को अलग से 5 प्रतिशत आरक्षण देते हुए ओबीसी आरक्षण को 21% से बढ़ाकर 26% करने वाले आरक्षण बिल-2017 की क्रियांविति पर राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाने को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की एसएलपी पर पक्षकारों की बहस हुई। अदालत ने राज्य सरकार प्रार्थी केविएटर को सुनकर मामले में फैसला बाद में देना तय किया। राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट को विधायिका की कार्रवाई प्रक्रिया में दखल देने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार ने केवल ओबीसी आरक्षण बिल-2017 पारित किया है और वह कानून नहीं बना है। इसलिए राजस्थान हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। वहीं प्रार्थी ने कहा कि आरक्षण केस में राज्य सरकार की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सरकार को नया ओबीसी बिल लाने से पहले सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी लेनी चाहिए थी, इसलिए हाईकोर्ट का आदेश सही है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर मामले में फैसला बाद में देना तय किया। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 9 नवंबर को गंगासहाय शर्मा की पीआईएल पर ओबीसी बिल-2017 की क्रियांविति पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को पाबंद किया था कि वह ओबीसी आरक्षण बिल-2017 के तहत कोई भी काम नहीं करे। याचिका में कहा था कि ओबीसी आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने से राज्य में कुल आरक्षण 54 प्रतिशत हो गया है जो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन है।

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