प्रदेश में सेवानिवृत्ति के बाद भी नौकरी का नियम
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15 Mar 18
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही 40 साल के अधिक उम्र के कलेक्टरों को विकास में बाधक मानते हों, लेकिन राजस्थान में तो सरकार ने सेवानिवृत्त होने के बाद भी अफसर-कर्मचारियों को फिक्स पे पर दोबारा सेवा में रखने का नियम बना रखा है। इसी के तहत वर्तमान में राज्य में करीब 15 हजार कर्मचारी-अफसरों को विभिन्न विभागों ने दोबारा अलग-अलग अवधि के लिए सेवा पर ले रखा है। हालांकि, समय-समय पर इस पॉलिसी का विरोध यह कहते हुए होता रहा है कि इससे युवाओं को नुकसान होता है। इनके कारण अघोषित रूप से पद रिक्त नहीं होने से युवाओं काे भर्ती के लिए इंतजार करना पड़ता है। लेकिन सरकार इस व्यवस्था को प्रशासनिक काम-काज को सुचारु ढंग से जारी रखने के लिए जरूरी मानती है। राज्य में विभिन्न विभागों, आयोगों, बोर्ड सहित अन्य सरकारी निकायों में चतुर्थ श्रेणी से लेकर शीर्ष तक सेवानिवृत्ति के बाद नियुक्ति दी जा रही हैं। इन्हें सरकार की ओर से फिक्स वेतन दिया जा रहा हैं। यह उस पद के सेवारत आम कर्मचारी-अफसर की तुलना में 40% तक है। ऐसे में सरकार को बड़ा फायदा यह हो रहा है कि इनके बूते वह आधे से भी कम बजट में वह अपना काम निकाल रही है। इधर भर्तियों के लिए जो दबाव सरकार पर है वह भी काफी हद तक कामचलाऊ व्यवस्था के चलते कम हो रहा है।
बेरोजगार युवाओं का कहना है कि लंबी सेवा अवधि पूरी करने के बाद जब सरकार दुबारा से फिक्स पे पर उन्हीं कर्मचारियों से काम लेगी तो बेरोजगारों को मौका कब मिल पाएगा।
दोबारा नौकरी लगने के लिए भी एप्रोच और जुगाड़-
बड़ी संख्या में कर्मचारी-अफसर ऐसे हैं जो सेवानिवृत्ति से पहले ही दोबारा से फिक्स पेे पर लगने का जुगाड़ कर लेते हैं। इनमें कई ऐसे भी हैं जो सेवा अवधि में संभाल रहे अपने काम में पूरी तरह पारंगत हो जाते हैं और विभाग को उन्हें अपने काम को व्यवस्थित चलाए रखने के लिए दोबारा रखना मजबूरी बन जाता है। विभागीय अफसर अपने काम को सुचारू बनाए रखने के लिए उच्च स्तर पर उनकी काम की उपयोगिता बताते हुए आसानी से मंजूरी ले लेते हैं।
रियलिटीचैक
दूसरा पहलू यह भी : प्रधानमंत्री भले ही अधिक उम्र के कलेक्टरों को विकास में बाधक मानते हों, लेकिन सरकार काम चलाने के लिए ले रही रिटायर्ड कर्मियों का सहारा
सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी का यह है नियम
राजस्थान सिविल सर्विस पेंशन रूल्स (96) 164 ए के तहत सेवानिवृत्ति के बाद भी संबंधित कार्मिक को सेवा में रखने का यह नियम है। वित्त विभाग के संयुक्त सचिव (फाइनेंस रूल्स) महेंद्र सिंह भूकर बताते हैं कि नियमों के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद 65 साल तक की उम्र तक सरकारी कर्मचारी को रीअपॉइंट किया जा सकता है। विभिन्न संवर्ग के हिसाब से मानदेय कार्मिक विभाग की ओर से तय किया जाता है। भूकर बताते हैं कि यह मानदेय पे माइनस पेंशन से ज्यादा नहीं होगा। रिक्त पद के लिए प्रस्ताव को मंजूरी संबंधित प्रशासनिक विभाग ही देगा। एक बार में एक साल की अवधि के लिए ही सेवा बढ़ेगी। दो साल बाद में वित्त और डीओपी की मंजूरी भी इस मामले में जरूरी होती है।
सबसे ज्यादा सेवानिवृत्त के बाद की सेवाएं शिक्षा-चिकित्सा में
यह नियम लंबे समय से प्रभावी है। चूंकि संबंधित विभाग में कर्मचारी-अफसर की कमी से काम प्रभावित न हो इसलिए रिटायरमेंट के बाद फिक्स मानदेय पर सेवा लेती है। प्रस्ताव बनाकर प्रशासनिक विभाग से इसकी अनुमति लेनी होती है। -सुनील शर्मा, जॉइंट सैक्रेट्री, कार्मिक विभाग
सरकार को सेवानिवृत्त कर्मचारी, अधिकारियों को दोबारा लगाने के बजाय नियमित भर्तियों पर फोकस करना चाहिए जिससे बेरोजगार युवाओं को भी मौका मिल सके। यह तभी संभव हो सकता है जब समय पर विभिन्न भर्तियां निकाली जाएं। -नारायण सिंह, प्रवक्ता, पंचायतीराज कर्मचारी संघ
सरकार को चाहिए कि वह बेरोजगारों के हितों का ख्याल रखे। एज फैक्टर के अनुसार युवा रोजगार मिलने पर ज्यादा जोश के साथ काम कर सकते हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारी की जगह उन्हें नियमित भर्तियों से तरजीह दी जानी चाहिए। -उपेन यादव, प्रदेशाध्यक्ष, बेरोजगार संघ
स्कूल सहित समस्त शिक्षा- 5000, चिकित्सा- 1800, पंचायतीराज विभाग-1200, यूडीएच-1500, बिजली विभाग-1000, पीएचईडी-पीडब्लूडी-800, कृषि-700, अन्य विभाग, निगम, संस्थाएं, बोर्ड -3000
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