जयपुर ः प्रा*त भाषा के मूर्धन्य विद्वान साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागरजी को भारत सरकार ने मरणोपरान्त राष्ट्रपति सम्मान प्रमाण पत्र् पुरस्कार से सम्मानित किया। महोपाध्याय विनयसागरजी न केवल प्राकृत भाषा के ही परम्परागत प्रौढ विद्वान् थे अपितु संस्कृत वाङ्गमय एवं जैन आगम के मनीषी तथा मौलिक चिन्तक थे। आफ द्वारा लिखित, सम्पादित व अनुवादित 103 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आप प्राकृत भारती अकादमी संस्थान के स्थापना वर्ष 1977 से ही जीवनपर्यन्त सम्मान्य निदेशक पद पर रहे। नियतिवश पुरस्कार प्राप्त करने से पूर्व ही 30 नवम्बर, 2014 को आपका देहावसान हो गया था। अतः यह सम्मान ग्रहण करने हेतु उनके पुत्रें मंजुल व विशाल जैन को आमंत्र्ति किया गया।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उनके पत्र् मंजुल जैन ने राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के कर-कमलों से यह सम्मान ग्रहण किया।