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शिक्षण से ही जाति-धर्म के भेद भाव को कम किया जा सकता है

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27 Apr 15
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शिक्षण से ही जाति-धर्म के भेद भाव को कम किया जा सकता है मुंबई। जिसके अध्यक्ष डॉ. रमेश गिरी है और सेक्रेटरी सुधाकर वसंत पोयेकर है। यहाँ पर पहली से दसवी तक के हिंदी और मराठी माध्यम की शिक्षा बच्चों को दी जाती है और सरकारी अनुदान मिलने के कारण फीस केवल पांच रुपए से पंद्रह रुपये तक है और जहाँ पर अठारह सौ बच्चे पढ़ते है। लेकिन क्लास रूम की कमी होने के कारण एक क्लासरूम में नब्बे -नब्बे बच्चे बैठते थे। एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा देखने के बाद सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' के अध्यक्ष मनमोहन गुप्ता ने 'नूतन विद्यामंदिर हाईस्कूल' में अपने खर्चे पर पांच नए क्लासरूम बनवाने का फैसला किया और अब बच्चों की सुविधा के लिए स्कूल में नए क्लासरूम का निर्माण शुरू कर दिया गया। जिसके लिए स्कूल के हिंदी माध्यमिक विभाग हेडमास्टर गाजरें एन.बी., मराठी माध्यमिक मुख्याध्यापिका सौ.चौधरी ए.के., विजय सिंह इत्यादि लोगों ने गुप्तजी को धन्यवाद दिया और कहा कि समाज को ऐसे लोगों की बहुत जरुरत है।
तथा 'गांधी विचार मंच' के अध्यक्ष मनमोहन गुप्ता ने कहा," शिक्षण से ही जाति-धर्म के भेद भाव को कम किया जा सकता है। लोगों में प्रेम और दोस्ती की भावना पैदा की जा सकती है। आज दंगे या लड़ाई-झगड़ा की वज़ह लोगों की अज्ञानता है। आज कॉलेज और स्कूल में लोग मिल जुलकर रहते है और जाति और धर्म का झगड़ा नहीं करते है। यदि सभी भारतीय को सही ढंग से शिक्षा मिलेगी तो भारत की एकता और अखंडता बनी रहेगी और देश मज़बूत होगा। इस कारण सभी सामाजिक संस्थाओं से और लोगों से अपील करता हूँ कि वे अपने आसपास के बच्चों को पढने के लिए प्रोत्साहित करे और स्कूलों में बच्चों के लिए जो सुविधांए दे सकते हो यथाशक्ति ज़रूर दे। जिससे हमारा और देश का भविष्य सुनहरा बन सके। "
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