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कृष्णजन्म कथा

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02 Aug 17
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 कृष्णजन्म कथा (शिखा अग्रवाल 9660303643)श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अषटमी की मध्यरात्र् को रोहिणी नक्षत्र् में देवकी व वासुदेव के पुत्र् के रूप में हुआ था। कंस ने अपनी मृत्यु की भय से अपनी बहन देवकी और वासुदेव को काराग्रह में कैद किया हुआ था। कृष्ण जन्म के समय घनघोर वर्षाहो रही थी। चारों तराफ घना अंधकार छाया हुआ था। भगवान के निर्देशानुसार कृष्ण जी को रात में ही मथुरा के कारागार से गोकुल में नंद बाबा के घर ले जाया गया।

नन्द जी की पत्नी यशोदा को एक कन्या हुई थी। वासुदेव श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए। कंस ने उस कन्या को वासुदेव और देवकी की संतान समझ कर मारना चाहा लेकिन वह असफल रहा। देवयोग से वह कन्या जीवित बच गई। इसके बाद कृष्ण का लालन-पालन यशोदा ने किया। जब कृष्णजी बडे हो गये तो उन्होंने कंस को वध कर अपनें माता-पिता को उसकी कैद से मुक्त कराया।

जन्माषटमी में हांडी फोड
श्रीकृष्ण जी का जन्म मात्र् एक पूजा अर्चना का विषय नहीं है बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान के श्री विग्रह पर कपूर, हल्दी, दही, घी, तेल, केसर तथा जल आदि चढाने के बाद लोग बडे हषोर्ल्लास के साथ इन वस्तुओ का परस्पर विलेपन और सेवन करते हैं। कई स्थानों पर हांडी में दूध-दही भरकर, उसे काफी ऊँचाई पर टाँगा जाता है। युवकों की टोलियों उसे फोडकर इनाम लूटने की होड में बहुत बढ-चढकर इस उत्सव में भाग लेती हैं।
वस्तुतः श्रीकृष्ण जन्मा६टमी का व्रत केवल उपवास का दिवस नहीं, बल्कि यह दिन महोत्सव के साथ जुडकर व्रतोत्सव भी बन जाता है।
कृष्ण जिनका नाम, गोकुल जिनका धाम, ऐसे श्री कु६ण भगवान को , हम सबका प्रणाम।

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