वैदिक विचारों से ही ज्ञान की दृष्टि मिलती है : विवेकानंद आर्य
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23 Jul 18
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जोधपुर | आर्य समाज शास्त्रीनगर में रविवार को विशेष सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर युवा संत विवेकानंद आर्य ने कहा, कि नमस्ते मात्र एक शब्द नहीं हैं। यह अपने आप में पूर्ण वाक्य है। सदैव नमस्ते शब्द का प्रयोग करें। उन्होंने कहा, कि ईश्वर एक है। विद्वान उसे अनेक नाम से पुकारते हैं। ईश्वर का निज नाम 'ओ३म' ही है। वेद सभी के कल्याण की कामना करते हैं। वेद का पढ़ना-पढ़ाना आज के दौर में बहुत जरूरी है। वैदिक विचारों से ही ज्ञान की दृष्टि मिलती है। वैचारिक पवित्रता और उत्तम वैचारिक स्वास्थ्य वेद से ही प्राप्त होते हैं। वेद हमारे नेत्र हैं। वेद हमारे मार्गदर्शक हैं। वेद धर्म के मूल में हैं। हमारे जीवन के उत्थान के लिए वेद जरूरी है।
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