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किले, नदियाँ, बावडियाँ, स्मारक ही नहीं मिट्टी के अखाडे भी हमारी धरोहर हैं

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17 Apr 15
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किले, नदियाँ, बावडियाँ, स्मारक ही नहीं मिट्टी के अखाडे भी हमारी धरोहर हैं उदयपुर, विश्व धरोहर दिवस के कार्यक्रम के अन्तर्गत स्थानीय उस्ताद कर्णसिंह पहलवान श्री भीम राष्ट्रीय व्यायाम शाला, चान्दपोल, उदयपुर में मिट्टी के अखाडे में एक कुश्ती का आयोजन किया गया। खेल प्रेमी डॉ. कुलशेखर व्यास ने बताया कि मिट्टी के अखाडे, जो हमारी धरोहर है। इनका संरक्षण भी आवश्यक है। इस अवसर पर कुश्ती प्रशिक्षक श्री सुशील सेन एवं अखाडे के संचालक डॉ. दिलीप सिंह चौहान के मार्ग दर्शन में सभी पहलवानों द्वारा शपथ ली गई की हम मिट्टी के अखाडे का संरक्षण करेंगे और इसे हम हमारी आगे आने वाली पिढी को सुरक्षित सौपेंगे।
इस अवसर पर व्यायाम शाला संचालक डॉ. चौहान ने मिट्टी के अखाडे की मिट्टी के बारे में बताते हुए कहा कि अखाडे की इस मिट्टी में विभिन्न प्रकार की सामग्री को मिलाकर मिट्टी को तैयार किया जााता ह, जिसमें चन्दन पाउडर, पिसी हल्दी, घी, छाछ, सरसों का तेल इत्यादि इत्यादि सामग्री को निश्चित अनुपात में मिलाकर तैयार किया जाता है और यह भी कहा कि यह मिट्टी व्यक्ति के शरीर के लिए काफी लाभदायक है। इस मिट्टी से चर्मरोग, पुराना दर्द, व पुरानी चोट भी ठीक हो जाती है।
इस अवसर पर व्यायाम शाला में नियमित अभ्यास करने वाले खिलाडियों के साथ श्री घनश्याम सिंह भींडर, सुशील सेन, डॉ. कुलशेखर व्यास, भौम्यशेखर व्यास, नेत्री व्यास, उन्नती चौहान, कुलदीपसिंह चौहान तथा अन्य खेलप्रेमी उपस्थित थे।


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