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‘मंटो’ की कहानी में स्वतंत्रता पर जोर देने की कोशिश

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12 Jun 18
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‘मंटो’ की कहानी में स्वतंत्रता पर जोर देने की कोशिश नई दिल्ली । ‘‘मंटो’ की कहानी रचनात्मक विद्रोहियों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देने की कोशिश के बारे में है। अभिनेता ताहिर राज भसीन का मानना है कि यह क्षेत्र या राष्ट्र से परे हर किसी को एक भावना में बांधने की कोशिश करेगी। उनका कहना है कि फिल्म एक प्रासंगिक विषय पर आधारित है, क्योंकि कई राष्ट्रों में कलाकारों और लेखकों को अपनी राय जाहिर करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।फिल्म ‘‘मंटो’ में निर्देशक नंदिता दास ने प्रसिद्ध कहानीकार सआदत हसन मंटो की जिंदगी के कई पहलुओं को दिखाया है। मंटो के किरदार में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी हैं। खास बात यह कि 71वें कान्स फिल्म महोत्सव में अन सर्टेन रिगार्ड कैटेगरी में चयनित होने वाली यह एकमात्र भारतीय फिल्म रही। ताहिर ने मुंबई से फोन पर बताया,‘‘महोत्सव में दुनियाभर के दर्शक थे और उन लोगों ने खड़े होकर फिल्म के प्रति सम्मान जाहिर किया। हमें जो प्रतिक्रिया मिली, वह यह थी कि कहानी सीमाओं से आगे बढ़ती है, जो महान है, जो शानदार बात है।’उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप इस बारे में सोचते हैं, मंटो एक स्वतंत्र विचारों वाले और विद्रोही शख्स थे, जो रचनात्मक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी में यकीन करते थे।
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