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प्रभु श्रीराम ने बताया आदर्श राज्य वैसा हो: साध्वी श्रेया भारती

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13 Nov 17
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नइ दिल्ली । दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा चिराग दिल्ली में आयोजित सात दिवसीय श्री राम कथामृत के अंतिम दिवस में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी श्रेया भारती जी ने रामराज्य प्रसंग को बड़े ही रोचक से प्रस्तुत किया गया। समस्त रामायणों के समन्वय से युत्त इस श्री राम कथा में अनेकों ही दिव्य रहस्यों का उद्घाटन किया गया, जिनसे आज लोग पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।उन्होंने बताया कि मर्यांदा पुरुषोत्तम श्री राम के मार्गदर्शन में अयोध्या का राज्य सभी प्रकार से उन्नत था। लेकिन क्या यही राम राज्य की वास्तविक परिभाषा है? तो इसका जवाब है नहीं। अगर यही रामराज्य की सही परिभाषा है तो लंका भी तो भौतिक सम्पन्नता, समृद्धि, ऐश्वर्यं, सुव्यवस्थित सेना में अग्रणी थी। परन्तु फिर भी उसे राम राज्य के समतुल्य नहीं कहा जाता क्योंकि लंकावासी मानसिक स्तर पर पूर्णता अविकसित थे। उनके भीतर आसुरी प्रवृत्तियों का बोलबाला था। वहाँ की वायु तक में भी अनीति, अनाचार और पाप की दुर्गन्ध थी। जहाँ चारों ओर भ्रष्टाचार और चरित्राहीनता का ही सम्राज्य पैला हुआ था। राम के राज्य की बात सुनते ही अकसर मन में विचार आते हैं कि राम राज्य आज भी होना चाहिये। पर विचारणीय बात है कि राम राज्य की स्थापना होगी वैसे? जिस राम के विषय में तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में बड़े विस्तार से वर्णन किया।उन्होंने अपने राज्य के माध्यम से बता दिया कि एक आदर्श राज्य वैसा होना चाहिये। जहाँ एक आदर्श राजा शासन कर रहा हो। राम के राज्य में हर इन्सान धर्म संयुत्त आचरण करता था।श्रुति नीति भाव शास्त्रों में जो जीवनचर्यां की नीति थी जैसा आचरण करने को लिखा था वैसा ही आचरण था सबका। राम जी के सम्पूर्ण शासन व्यवस्था का आधार क्या था? धर्म!वह स्वयं मरूतिमान धर्म है और उनके राज्य में हर जगह हर व्यत्ति हर वस्तु में एक चीज परिलक्षित हो रही है धर्म । राम राज्य में अपराधिक प्रवृत्तियाँ नहीं थी। अपराधिक प्रवृत्तियों का जन्म कहाँ होता है। ठीक वैसे जैसे आप खड़ा पानी छोड़ देते हैं तो वह सड़ता रहता है। उसके सड़ने मात्र से उसमें मक्खी, मच्छर और कीटाणु पनपने लगते है।
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