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पोश्टीक आहार लेने से कुपोशण से बचाव संभव -दुर्गसिंह

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09 Sep 17
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पोश्टीक आहार लेने से कुपोशण से बचाव संभव  -दुर्गसिंह बाडमेर / एक सर्वे में यह सामने आया कि देष में आधी से अधिक महिलाये एंवम किषोरिया लोह तत्व की कमी के कारण एनीमिया से पीडित है । इनसे मुक्ति के लियेघरो में माताओ को बेटो की बजाय बेटियो को ज्यादा पोश्टिक आहार खिलाने की अपील की ।
ये अपील भारत सरकार के क्षेत्रीय प्रचार कार्यालय द्वारा महिला एंवम बाल विकास,नेहरू युवा केन्द्र के सहयोग से बाडमेंर षहर के रोहिडा पाडा र् पर स्थित आगनवाडी संख्या सात पर राश्ट्ीय पोशाहर सप्ताह के तहतञञ सावधानी एंवम पोश्टिक आहार से कुपोशण से बचाव संभवञञविशयक विचार गोश्ठी को संबोधित करते महिला एंवम बाल विकास विभाग के सुपरवाईजर दुर्गसिंह ने व्यक्त किये ।
सिंह ने बताया कि संतुलित आहार कुपोशण की रोकथाम में सहायक होता है । घरो में वेरायटी के भोजन में मोटे अनाज एंवम दाले,सब्जिया और फल के साथ दूध से बने उत्पाद का उपयोग करने की आवष्यकता बतायी ।
इस अवसर पर सुपरवाईजर सुभाश षर्मा ने बताया कि किषोरियो के स्वास्थ्य के लिये आगनवाडी केन्द्रो में पोश्टिक पोशाहर दिया जाता है । उसका उपयोग घर में वेरायटी के रूप् में बना कर खाने से स्वाद भी बढता है ।
इस अवसर परें आगनवाडी कार्यकर्ता एंवम सहायिका प्रेमलता एंवम राधा षर्मा ने बताया कि घर-धर कुपोशण बेल्ट से नाम करने पर कुपोशित बच्चो को पहचान करने के साथ किषोरियो को कुपोशण से बचाने के लिये आगनवाडी केन्द से पोश्टिक आहार दिया जाता है । उसका उपयोग वो बराबर कर रही है या नही इसका भी ध्यान रखा जाता है ।
इसी क्रम में पोशाहार सप्ताह के तहत माध्यमिक विधालय कुर्जा में प्रचार कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें स्कूल के प्राचार्य ओमप्रकाष ने बताया कि आठवी तक के बच्चो को मध्यान्ह भोजन के माध्यम से पोश्टीक आहार मिलता है । परन्तु घरो में भी हरी सब्जिया दालो एंवम सोयाबीन से बनी खाध् सामग्री का उपयोग करने की अपील की ।
इस अवसर पर अध्यापिका रूकता एंवम उशा देवी ने भी घरो में केलोरी युक्त खान पान खाने की जरूरत बतायी ं उन्होने बताया जो बच्चा स्वस्थ हे उसका षारीरिक एंवम मानसिक विकास जल्दी होता है ।
इस अवसर पर अध्यापक राजेन्द एंवम अभिमन्यु केला ने बताया कि समय के साथ अब घरो में भी बेटे- बेटियो में अंतर नही रखा जा रहा है सरकार के साथ ग्रामीण क्षेत्र के घरो में लोगो की बेटियो के प्रति सोच में बदलाव आया है ।

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