सतरंगी चित्रो से मुखर हुई बदरंग जल अपव्यय की कहानी
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24 Mar 17
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बाड़मेर | बच्चों में परंपरागत जल चेतना जगाने और वर्षा जल के संचय हेतु प्रेरित करने के लिए जिला मुख्यालय पर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, केयर्न इंडिया और डब्लूएसएसओ के सँयुक्त तत्वाधान में आयोजित किये जा रहे विश्व जल सरंक्षण सप्ताह के दूसरे दिन स्थानीय गौरव विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में चित्रकला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 275 छात्रों एवं छात्राओं ने भाग लिया।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और डब्लूएसएसओ आईईसी कन्सलटेन्ट अशोकसिंह राजपुरोहित ने बताया कि बच्चों ने परंपरागत जलस्रोत जैसे-नदी, कुआं, तालाब एवं चर तथा आयरन शुद्धिकरण हेतु मटका फिल्टर के आलावा वर्षाजल के संचय और परम्परागत जल स्रोत संरक्षण के रंग-बिरंगे चित्रों के माध्यम से अपने जल ज्ञान और भावना को प्रस्तुत किया। वर्तमान समयानुकूल वर्षाजल के संचय के तरीके, सावधानियां और रख-रखाव पर बच्चों का चित्रांकन केन्द्रित था। अपने चित्रकला के माध्यम से बच्चों ने अपने गांव और शहर के उपलब्ध संसाधनों द्वारा जल संचय का तरकीब दर्शाया।
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के चयनित बच्चों ने ही निर्णयकर्ता की भूमिका अपना कर विद्यालय के श्रेष्ठ तीन बच्चों के श्रेष्ठ चित्रांकन का चयन किया। विद्यालय प्रबन्धक हरीश चौधरी ने सभी बच्चों को वर्षा जल का संचय कर स्वयं सेवन कर अपने परिवार, पड़ोस के लोगों को इसके संचय और उपयोग करने हेतु उत्प्रेरित करने का व्रत दिलाया।चौधरी ने कहा कि बच्चों में परंपरागत जलस्त्रोत का ज्ञान, संरक्षण, जलस्त्रोत के प्रति श्रद्धा, जलस्त्रोत आधारित संस्कृतिं आदि से बच्चों में चेतना पैदा करने हेतु मेघ पाईन अभियान और ग्राम्यशील का यह प्रयास किया जा रहा है ताकि बच्चे जलदूत बनकर कोशी क्षेत्र की जल परंपरा को जीवंत रख सकें। आयोजन में गोमाराम, भंवर चौधरी, पारुराम , चुन्नीलाल , भगाराम और मांगी चौधरी ने निर्णायक की भूमिका अदा की।
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