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प्रदूषण जांच ने नाम पर लगी लम्बी कतार, महज खानापूर्ति

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30 Jun 15
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प्रदूषण जांच ने नाम पर लगी लम्बी कतार, महज खानापूर्ति
अजमेर(कलसी)। प्रदूषण की जांच करने वाले जांच केन्द्र सीमित और लाखों वाहनों की जांच का जिम्मा। ऐसे में कई जगह जल्दबाजी की जा रही जांच महज औपचारिकता बन गई है। परिवहन विभाग ने शहर में वाहनों की जांच के लिए छह स्थान पर प्रदूषण जांच केन्द्र स्थापित किए हैं। इन जांच केन्द्रों पर तेज धूप में वाहनों की लम्बी कतार नजर आ जाती है। ज्यादा से ज्यादा वाहनों की जांच करने के चक्कर में कई जांच केन्द्रों पर औपचारिकता बरती जा रही है।
वैशालीनगर स्थित एचकेएच पब्लिक स्कूल के निकट प्रदूषण जांच कराने पहुंचे एक वाहन मालिक के अनुसार वाहन को स्टार्ट करके प्रदूषण स्तर की जांच की जानी चाहिए। लेकिन हो उल्टा रहा है। प्रदूषण जांच की मशीन एक वैन में लगी है। वैन चालक मशीन के पाइप को वाहन के साइलेंसर में लगाता है और दूसरा व्यक्ति वाहन की फोटो लेता है। जांच किए बिना ही पीयूसी सर्टिफिकेट (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र) जारी कर दिया जाता है।
हाथापाई की आई नौबत :
एचकेएच स्कूल के निकट रविवार दोपहर वैन चालक ने एकाएक यह कह कर जांच करना बंद कर दिया कि मशीन में लगा कार्टेज खत्म हो गया है। वह वैन लेकर कार्टेज लेने जाने लगा। लेकिन वहां मौजूद लोगों ने उसे रोक दिया और कहा कि वैन कहीं नहीं जाएगी। वह कार्टेज यहीं मंगवा ले। दोनों पक्षों में कहासुनी बढ़ गई। लोगों ने वैन के टायरों की हवा निकाल दी। हाथापाई की नौबत आ गई। वहां मौजूद अन्य लोगों ने समझाइश कर दोनों पक्षों को शांत किया। वैन मालिक ने कार्टेज वहीं पर मंगवाकर मशीन में लगाया और वाहनों की जांच शुरू कर दी। प्रदूषण वाहन चालकों का नियम विरुद्ध यह पहला मामला नहीं है ऐसे मामले आए दिन देखे जा सकते हैं जब यह प्रदूषण जांच वैन चालकों की मनमानी के चलते हाथापाई की नौबत आ जाती है।
नियमों की हो रही अनदेखी :
भारतीय पब्लिक लेबर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल साहू ने राज्यपाल को पत्र लिखकर वाहनों के प्रदूषण स्तर की जांच में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया है। साहू ने राज्यपाल को भेजे पत्र में बताया कि परिवहन विभाग और रसद विभाग की मिलीभगत से प्रदूषण जांच केन्द्र 2005 के नियम कायदों की अवहेलना की जा रही है।
नियमों में स्पष्ट है कि प्रदूषण की जांच आईटीआई से प्रमाण-पत्र धारक ही कर सकता है। जबकि एक भी केन्द्र पर इस नियम की पालना नहीं हो रही है। जांच में लापरवाही की जा रही है। प्रदूषण के लिए दरें निर्धारित है। इसके बावजूद जांच केन्द्रों पर मनमानी दरें वसूली जा रही हैं।
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