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जनहित में आवाज उठाने वालों पर गिरफ्तारी की तलवार और ...

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31 Mar 18
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जैसलमेर । जिले में राजतंत्र पर से जनता का विश्वास उठता जा रहा है यदि यही हाल रहा तो वर्तमान में राज करने वाली पार्टी का पाटिया साफ होते देर नहीं लगाएगी जनता ।

बेईमानी के तार राजनीतिज्ञों से जुड़े ? इसलिए बेईमानों पर आंच नहीं और उनकी गिरफ्तारी नहीं ?

जिले में वित्त से जुडे एक मामले में सांई कृपा क्रेडिट सोसायटी ने जनता से करोड़ों रूपए उगाह कर अपना बोरिया बिस्तर गोल कर दिया । जनता को उनकी जमा पूंजी वापस नहीं मिल रही है । लोगों ने पुलिस में इसकी लिखित में शिकायत भी की है लेकिन सोसायटी का संचालन करने वालों के तार राजनीति में रसूखदारों से जुड़े होने के कारण पुलिस एक्शन लेने से परहेज कर रही है । शिकायतों पर प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है । इससे लोगों का विश्वास राजतंत्र से निरन्तर कम होता जा रहा है और लोग अपनी जमा पूं​जी को लेकर संशय में जी रहे है कि उनकी खून पसीने की कमाई डूब तो नहीं गई ।

ऐसा ही एक राजनीतिज्ञ रसूखदार द्वारा राजकोष को लाखों का चूना लगा कर भ्रष्टाचार कर बैठा है और विधायक बनने की चाहत में विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुका है । रसूख की पहुंच के कारण न उसका कुछ बिगड़ा न ही उनके शामिल अन्य लोगों का । जबकि भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने प्राथमिक जांच में इनको दोषी मानते हुए इनके खिलाफ एफआई भी दर्ज करवाई गई लेकिन इन पर किसी भी प्रकार आंच नहीं आई ।

मीडिया में बेईमानी का वायरस ! बेईमान पत्रकार को राजनीतिज्ञों व रसूखदारों की शह ? इसलिए

दूसरी ओर मीडिया भी अपने रसूख का पूरा फायदा उठाने का आमादा है । जैसलमेर में ट्रेक्टर्स घोटाले का पर्दाफाश हुआ जिसमें एक जने को ​गिरफ्तार किया । लेकिन जिन ट्रैक्टरों का फर्जी तरीके से लोन उठाया गया उनकी फर्जी तरीके से आरसी भी बनाई गई । जो ट्रैक्टर है ही नहीं उनकी आरसी पर सिकन्दर शेख के हस्ताक्षर है । आरटीओ से भार हल्का हो इसलिए आरसी बनाने का काम सिकन्दर शेख और शिल्पा शेख को दिया गया । लेकिन ईटीवी के पत्रकार ने फर्जी तरीके से आरसी बनाकर घोटाला किया । लेकिन इसकी गिरफ्तारी को लेकर शहर ही नहीं जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है । जिस मीडिया पर जनता के हितों की रक्षा करना और उनका विश्वास जीतना है, वही मीडिया जनता का विश्वास खोने की स्थितियों में बनी हुई है ।

उक्त स्थितियों में जनता आने वाले समय में अपने विवेक से ऐसे जनप्रतिनिधि का चुनाव पसंद करेगी जो उनके विश्वास पर खरा उतरे ।जनहित में आवाज उठाने वालों को लोकतंत्र का गला दबाते हुए गिरफ्तार किया जाता है । कुछ दिन पूर्व एक मकान के आगे सार्वजनिक शौचालय बनाने का विरोध करने वाले पूर्व नगरपरिषद चैयरमैन को गिरफ्तार किया गया था । अभी दो पहले रामगढ़ में एक रात्रि चौपाल में जनहित में एक जनप्रतिनिधि द्वारा विरोध किया गया तो उसे भी गिताफ्तार करने के मौखिक आदेश जिला कलक्टर ने भरी चौपाल में दे डाले । लोकतंत्र में इस प्रकार की कार्यवाही निसंन्देह शर्मसार करने वाले हो सकती है । सीधे सीधे लोकतंत्र का गला दबाने जैसी स्थिति है ।

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