GMCH STORIES

वासुपूज्य स्वामी की प्रतिष्ठा   शुक्रवार को

( Read 8433 Times)

13 Feb 20
Share |
Print This Page
 वासुपूज्य स्वामी की प्रतिष्ठा   शुक्रवार को

उदयपुर,  तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड तीर्थ पर श्री वासुपूज्य स्वामी के जिनालय के प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन गुरूवार को शान्तिदूत गच्छाधिपति आचार्य विजयनित्यानंद सूरिश्वर जी म.सा. की निश्रा में सक्रान्ति महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। सक्रान्ति के गीतों पर श्रावक जहां झूम उठे, वहीं इस अवसर पर आचार्यश्री ने कहा कि संसार में लेने वाला नहीं देने वाला महान होता है। भोग प्रधान संसार में त्याग प्रधान धर्म ही पूजा जाता है।

महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड तीर्थ पर चल रहे छह दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन गुरूवार को प्रातः साढे नौ बजे सक्रान्ति महोत्सव प्रारम्भ हुआ। सक्रान्ति महोत्सव के दौरान देशभर से आचार्यश्री के भक्तों का आगमन हुआ और उन्होंने सक्रान्ति के गीत गाए। वहीं संगीतकार नागौर निवासी श्रेयांश सिंघवी ने ओ गुरू सा थारो चेलो बनूं में उदयपुर नगरी में प्रतिष्ठा महोत्सव के गीत पर सभी श्रावक जमकर झूम उठे और पूरा वातावरण भक्तिमय होकर तालियों से गूंजायमान हो गया और आचार्य वल्लभ सूरिश्वर के जयकारों से वातावरण को गूंजायमान कर दिया। लुधियाना से आए प्रवीण भाई जैन एवं मुम्बई ठाणे से आए भरत मेहता ने सकल संघ के साथ सक्रान्ति भजन श्री वल्लभ गुरू के चरणों में भक्ति भावपूर्वक पेश किया। वहीं आचार्यश्री के मुखारबिंद से सक्रान्ति का महामांगलिक दिया, जिसे श्रवण करने के लिए देशभर से श्रावक-श्राविकाओं का आगमन हुआ। इस अवसर पर आचार्यश्री ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सिर्फ पैसा कमाना ही पर्याप्त नहीं, उससे सत्कार्य करके पुण्य अर्जित करना सार्थकता है। संसार में परम सुख चाहिए तो संग्रह करना छोड दो। आचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरिश्वर म.सा. का १५०वां जन्म सार्ध जन्म शताब्दी चल रहा है। इसी के अन्तर्गत ये सभी कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

इस तन का कोई ठिकाना नहीं गीत से अपनी बात को धर्मसभा में रखते हुए मुनि मोक्षानंद विजय ने कहा कि जन्म लेकर उसको सफल व सार्थक बनाने के लिए हमें दीन-दुःखियों की सेवा करनी जरूरी है। हमारे मन में सभी जीवों के प्रति प्रेम व करूणा का झरना बहना चाहिए। आज का इंसान इतना स्वार्थी बन चुका है कि यह केवल स्वयं का सोचता है, जबकि भारतीय संस्कृति सेवा और परोपकार करना सिखाती है। धर्मसभा का संचालन कवि प्रकाश नागौरी ने किया। महासभा के अध्यक्ष तेज सिंह बोल्या ने देशभर से आए श्रावक-श्राविकाओं का शब्द द्वारा स्वागत किया और विशेष रूप से प्रतिष्ठा महोत्सव के मुख्य लाभार्थी बांगाणी परिवार का स्वागत किया। साथ ही बताया कि आचार्यश्री का वर्ष २०२० का चातुर्मास पालीताणा की पुण्य धरा पर होगा और चातुर्मास के लिए २ जुलाई को प्रवेश करेंगे। प्रचार संयोजक संजय खाब्या ने बताया कि गुरूवार दोपहर को मेहंदी वितरण एवं सांझी का आयोजन हुआ। वहीं महिला मंडलों, विधिकारक नितेश भाई जैन एवं संगीतकार श्रेयांश सिंधवी द्वारा चौबिसियां गाई गई। शुक्रवार को आचार्यश्री की निश्रा में श्री वासुपूज्य स्वामी मंदिर का प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न होगा।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like