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मुश्किलें बढ़ा रहे स्कूटी से फर्राटे भरते किशोर

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07 Feb 16
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नई दिल्ली क्या कभी आपने बिना लाइसेंस और बिना हेलमेट के 12-13 साल के बच्चों और किशोरों को सड़क और गलियों में स्कूटी चलाते देखा है। स्कूल जाने वाले दसवीं से बारहवीं के कई बच्चे फर्राटे भरते हुए जाते हैं। इन्हें न तो ट्रैफिक पुलिस रोकती है और न ही इनका चालान काटा जाता है। इन्हें किसी की भी परवाह नहीं होती। स्कूटी चलाने वालों के लिए आज भी लाइसेंस अनिवार्य नहीं। इसलिए बच्चे और टीनेज इसका फायदा उठा रहे हैं। और इस काम में भरपूर सहयोग करते हैं इनके माता-पिता।

दरअसल, छोटी उम्र में ही अभिभावक बच्चों को स्कूटी खरीद कर दे देते हैं। नतीजा आए दिन उन्हें किसी न किसी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। स्कूटी से दुर्घटना के कई मामले दर्ज किए गए हैं। आए दिन सड़क पर हो रही घटनाओं के लिए स्कूटी चलाते बच्चे भी जिम्मेदार होते हैं। ये बच्चे न सिर्फ अपनी जान जोखिम में डालते हैं बल्कि दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं। स्कूटी तेज चलाना, ट्रैफिक नियम न मानना इनकी आदत में शामिल हो चुका हैं। पुलिस रोक ले तो उनसे बचने के 'बेशर्म तरीके' अपनाते हैं।

इस मामले में सोसायटी का दबाव बहुत ज्यादा काम करता है। दोस्तों की देखा-देखी ये बच्चे अभिभावक से स्कूटी दिलाने की जिद करते हैं। दूसरे से आगे निकलने की होड़ में ये स्कूटी तेज चलाते हैं और सड़क हादसे के शिकार भी होते हैं।

'रैश ड्राइविंग' को हम अपनी भाषा में अक्सर इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर टीनेज इसे रोमांच मानते हैं। हमारे भारत में ज्यादातर सड़कें इस तरह की नहीं बनी जहां इतनी तेजी से और आड़े तिरछे गाड़ियां व स्कूटी चलाई जाएं। ड्राइविंग की उम्र न होते हुए भी ये किशोर मजे से स्कूटी व बाइक चलाते दिख जाते हैं। इनके अभिभावक भी इनकी जिद के आगे झुक जाते हैं।

सड़क पर तेजी से गाड़ियां चलाते इन किशोरों को सबसे असुरक्षित ड्राइवर माना जाता है। न इन्हें ट्रैफिक नियमों से मतलब और न ही इनकी कोई स्पीड सीमा है। ज्यादातर देशों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता। दिल्ली सहित पूरे भारत में ये असुरक्षित 'किशोर ड्राइवर' सबकी जान का खतरा बने हैं। जरूरत है इन पर लगाम लगाने की। कम उम्र में स्कूटी खरीदने की जिद माता-पिता को पूरी नहीं करनी चाहिए। बाइक, गाड़ी यहां तक की स्कूटी के लिए भी लाइसेंस अनिवार्य होना चाहिए। यातायात पुलिस को निर्देश देना चाहिए कि वह किशोरों को सड़क पर स्कूटी चलाने की इजाजत न दे। उनके भी चालान काटे जाएं। माता-पिता भी इसके लिए बच्चों को बढ़ावा न दें। किशोरों में समझदारी कम और आनंद लेने की भावना ज्यादा होती है, ऐसे में इन्हें स्कूटी देना इनकी जान खतरे में डालना होगा और दूसरों की भी।

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