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लेकसिटी में फिल्मसिटी और पर्यटन के मायने

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12 Jul 20
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लेकसिटी में फिल्मसिटी और पर्यटन के मायने

उदयपुर में फिल्म सिटी की स्थापना को लेकर के पिछले 10 वर्षों से अखिल राजस्थान फ़िल्म समिति के बैनर तले केंद्र और राज्य सरकार से निरंतर मांग की जा रही है। गत विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने अपना चुनावी घोषणा पत्र पेश किया तो उसमें फिल्म सिटी का भी जिक्र था इसी के चलते मेवाड़ की उम्मीद एक बार फिर आस बंधी की कांग्रेस सरकार में उदयपुर में फिल्म सिटी का सपना जरूर साकार होगा। इसी कड़ी में गत दिनों जिला प्रशासन द्वारा गोगुंदा क्षेत्र में फिल्म सिटी हेतु 526 बीघा जमीन भी चिन्हित कर ली गई तथा विस्तृत प्रस्ताव बनाकर संबंधित विभाग को भेज दिया गया। यही नहीं पिछले दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय ने राजस्व विभाग को पत्र लिखकर उदयपुर में फिल्म सिटी हेतु अग्रिम कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि आगामी दिनों में उदयपुर को फिल्म सिटी की सौगात मिल सकती है।

 

 

पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

 

 

उदयपुर का सिनेमा जगत से ऐसा बंधन जुड़ गया है की अमूमन आए दिन शहर और आसपस के इलाकों में शूटिंग चलती रहती है और शायद इसी वजह से उदयपुर में फिल्म सिटी से जुडी मांगे उठी है. अखिल राजस्थान फिल्म समिति के अध्यक्ष मुकेश माधवानी ने बताया की उदयपुर में फिल्मसिटी की स्थापना हेतु समिति विगत कई वर्षो से संघर्षरत है. इसी कड़ी में फिल्म समिति ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य मंत्रियो एवं राज्य के उच्च अधिकारियो, फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े कलाकारों, फिल्म एवं टी.वी. सीरियल के निर्माण से जुड़े कलाकारों, उद्योगपतियों आदि को पत्र लिखकर अपनी मांग हेतु समर्थन माँगा एवं फिल्मसिटी की स्थापना के लिए आग्रह किया. 

माधवानी बताते है की राजस्थान का वेनिस और कश्मीर कहा जाने वाला झीलों का यह अलबेला शहर उदयपुर अपनी सुन्दरता के कारण पूरे विश्व में अपनी एक अलग ही पहचान रखता है. मरू राजस्थान का यह तोरण शहर जिसके लिए लोग कहते है कि “पग फटके तो पड़वा फूटे, हाथ लगे तो हरियाली”. प्रेम प्रीत के फूल लगे यहाँ हर दिल की डाली-डाली. पर्यटन क्षेत्र में अग्रणी है . इस उदयपुर शहर में बीते 40 वर्षो में 500 से अधिक बॉलीवुड, हॉलीवुड, राजस्थानी, एवं दक्षिण भारतीय फ़िल्मों की शूटिंग हो चुकी है. इसके अतिरिक्त न जाने कितने टी.वी. धारावाहिक, विज्ञापन एवं म्यूजिक एल्बम में उदयपुर की प्राकृतिक सुन्दरता को दर्शाया जा चुका है, इसके बावजूद उदयपुर शहर को फिल्म सिटी की पहचान नहीं मिल पाई है . गत 8 और 9 दिसम्बर 2018 को जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी ने अपनी बेटी की शादी का समारोह उदयपुर में आयोजित किया, जिसमे देश-विदेश की नामचीन हस्तियाँ मौजुद थी और ऐतिहासिक रूप से इस शहर में 300 से अधिक विमानों से मेहमान पधारे थे. यही नहीं उदयपुर शहर को विश्व के तीन खुबसूरत शहरो में भी शामिल किया गया है. फ़िल्म सिटी की इस पहल से सरकार जहाँ सालाना लगभग 500 करोड़ रु का राजस्व प्राप्त हो सकेगा, वही राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र में करीब एक लाख लोगों हेतु रोजगार की संभावनाओ के दरवाजे खुलेंगे.

 

उदयपुर में फिल्मसिटी की स्थापना होने पर निर्माता प्रोजेक्ट के अनुसार सेट कम लागत में तैयार कर पाएँगे और बची हुए भूमि पर एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बाजार , स्कूल, कॉलेज, महल, अस्पताल, पूजा स्थल, झील एवं किसी गाँव के सेट का निर्माण कर फ़िल्मों की शूटिंग कर सकेंगे. वर्त्तमान शूटिंग के लिए आवश्यक कैमरा, लाइट्स, जिमिजिप आदि विभागों के उपकरण आसानी से कम कीमत पर उपलब्ध हो पायेंगे एवं उदयपुर में रिकॉर्डिंग, एडिटिंग स्टूडियो, अन्य तकनीकी सुविधाए स्थापित भी हो जाएगी. फिल्मसिटी में फिल्म एवं एंटरटेनमेंट अकादमी की स्थापना के साथ-साथ सम्पादन बूथ / सेट-अप, इंडोर स्टूडियो, ओपन बड़े स्टूडियो (2-3), साउंड रिकॉर्डिंग स्टूडियो, एनीमेशन स्टूडियो, मेक-अप स्टूडियो ग्राफ़िक्स स्टूडियो, एच.आर. – वी.आर. स्टूडियो, डिजिटल इंटरफ़ेस स्टूडियो, आदि की एक ही जगह स्थापना हो सकेगी. इससे हजारो लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा, पर्यटन बढेगा तथा राज्य की प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा. त्रिवेणी थिएटर संस्थान, उदयपुर से जुड़े कई कलाकारों का बॉलीवुड ने लोहा माना है तथा आज भी कई कलाकार बेहतर कार्य कर रहे हैं . उदयपुर में फिल्मसिटी के निर्माण को लेकर अपेक्षित सारी संभावनाए मोजूद हैं . अंतराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा है एवं रेल व बस की सुविधाए उपलब्ध हैं . ऐसे में पर्यटन सिटी के साथ-साथ उदयपुर शहर की पहचान फिल्मसिटी के रूप में बन सकती है . ठीक वैसे जैसे की मुंबई व हैदराबाद की है .

 

प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय जरुर इस सम्बन्ध में सरकार स्तर पर पहल हुई थी लेकिन उस समय उदयपुर को यह सौगात नहीं मिल पाई। अब ऐसी उम्मीद की जा रही है की चुनावी घोषणापत्र में शामिल इस मांग को गहलोत सरकार जरूर पूरा करेगी।

 


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