उदयपुर: अनुसंधान निदेशालय, एम.पी.यू.ए.टी., उदयपुर के तत्वाधान में जैविक खेती ईकाई पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत “दक्षिणी राजस्थान में आदिवासी क्षेत्र के किसानों के लिए आर्थिक रूप से सुदृढ़ कृषि प्रणालियों का विकास एवं प्रचार-प्रसार” परियोजना के अंतर्गत “समन्वित कृषि में जैविक उत्पादों का महत्व” विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया | जिसमें उदयपुर व चित्तोडगढ़ जिले के चयनित गांवों क्रमश : उदाखेड़ा, गुमानपुरा, सियाखेड़ी, पेमाखेड़ा, बड़वई, व जोयड़ा से 80 से अधिक किसानों ने भाग लिया | कार्यक्रम का संचालन परियोजना के प्रभारी अधिकारी डॉ. हरी सिंह के द्वारा किया गया | प्रशिक्षण में डॉ. एस. के. शर्मा नें किसानों को वर्तमान समय में जैविक खेती का महत्व विषय पर विस्तार से बताया एवं नीमपेस्ट, प्रोम खाद, पंचगव्य, केंचुए की खाद आदि को बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया | डॉ. आर. एच. मीना ने जैव उर्वरक एवं स्थान विशिष्ठ पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर किसानों को जानकारी दी | डॉ. रोशन चौधरी ने फॉस्फोरस समृद्ध कार्बनिक खाद के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला | डॉ. हरि सिंह ने परियोजना के बारे में बताया तथा परियोजना से किस तरह वल्लभनगर एवं भोपालसागर तहसील के चयनित किसान समन्वित कृषि अपनाकर कैसे आय व रोजगार में वृद्धि कर रहे है
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