उदयपुर | आर्य समाज, उदयपुर के तत्वावधान में आयोजित पाँच दिवसीय बाल संस्कार शाला का समापन समारोह अत्यंत गरिमामय एवं भावनात्मक रूप में सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में उपस्थित बच्चों को भारतीय संस्कृति, वैदिक परंपराओं, नैतिक मूल्यों और अनुशासित जीवनशैली से अवगत कराया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राजश्री गांधी ने कहा “यह केवल एक शिविर नहीं , बल्कि आत्मिक जागरण की यात्रा है । बच्चों ने वेद, यज्ञ, सत्य, अनुशासन, स्वावलंबन और राष्ट्रभक्ति जैसे मूल्यों को आत्मसात किया। संस्कारित बालक ही सशक्त समाज और नवभारत के आधार स्तंभ बनते हैं।”
डॉ. गांधी ने आयोजन की प्रेरणास्त्रोत चंद्रकान्ता वैदिका के सेवाभाव और संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि जब कार्य के पीछे निष्ठा हो, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य आता है। उन्होंने आर्य समाज, उदयपुर आर्य समाज के सरक्षक अमृत तापड़िया का भी हदय से आभार प्रकट किया , जिनकी विचारधारा आज भी संस्था के मूल में है।
कार्यक्रम के उपस्थित इन्द्रप्रकाश वैदिक ने अंधविश्वास से मुक्ति और परिश्रम के महत्व पर सरल और प्रेरणादायक शैली में संवाद करते हुए कहा “सफलता पाने के लिए केवल भाग्य नहीं, मेहनत और समर्पण आवश्यक हैं |
मीना बागरेचा ने दिनचर्या के नियमों पर बच्चों को मार्गदर्शन दिया।
प्रीति चौहान ने बच्चों को कहा कि “जन्मदिन को एक उत्सव की तरह मोमबत्ती बुझाकर नहीं, दीप जलाकर एवं लड्डू बांटकर मनाएं | यही है पौराणिक भारतीय परंपरा है |
संस्कारशाला में 80 बच्चों ने भाग लिया और देशभक्ति गीत, गायत्री मंत्र जाप, संस्कार मंत्र, नृत्य-नाटिका आदि के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
बेला के निर्देशन में प्रस्तुत पर्यावरण विषयक लघु नाटिका विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
इस आयोजन में प्रमिला जायसवाल, शकुंतला , चंद्रकला आर्य ,बेला , अलका सहित अनेक समर्पित सेविकाओं का उल्लेखनीय योगदान रहा।
आर्य समाज के प्रधान भंवरलाल आर्य एवं मंत्री वेद मित्र आर्य की गरिमामयी उपस्थिति से आयोजन को विशेष ऊर्जा मिली।
समापन पर सभी अतिथियों, सेविकाओं एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया गया तथा बच्चों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन भूपेंद्र वेद आचार्य द्वारा किया गया |